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नौकरी की चिंता में उपभोक्ताआें का उत्साह पड़ा नरम!

नयी दिल्लीः रोजगार सुरक्षा की चिंता तथा नौकरियों के नये अवसरों की संभावना में कमी दिखने से वर्ष 2017 की दूसरी तिमाही में देश में उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास नरम हुआ है. बाजार पर नजर रखने वाली कंपनी नील्सन की ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के आखिरी दौर में उपभोक्ताओं द्वारा खर्च में सावधानी बरतने […]

नयी दिल्लीः रोजगार सुरक्षा की चिंता तथा नौकरियों के नये अवसरों की संभावना में कमी दिखने से वर्ष 2017 की दूसरी तिमाही में देश में उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास नरम हुआ है. बाजार पर नजर रखने वाली कंपनी नील्सन की ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के आखिरी दौर में उपभोक्ताओं द्वारा खर्च में सावधानी बरतने का भी आलोच्य तिमाही में उनके उत्साह पर असर रहा. नील्सन ने एक बयान जारी कर बताया कि इस साल की अप्रैल-जून तिमाही में देश का उपभोक्ता धारणा सूचकांक छह अंक गिरकर 128 पर आ गया. 2016 की अंतिम तिमाही में हुए पिछले सर्वेक्षण में यह सूचकांक 136 पर था.

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नील्सन के अध्यक्ष (दक्षिण एशिया) प्रसुन बसू ने कहा कि इस तिमाही में सूचकांक के गिरने का मुख्य कारण रोजगार की कमतर संभावनाएं, रोजगार सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं तथा 2016 के अंत में खर्च में बरती गयी सावधानी है. उन्होंने कहा कि इस दौरान अगले 12 महीनों के लिए स्थानीय रोजगार बढ़ने को लेकर उम्मीदों का स्तर आठ फीसदी गिरकर 76 फीसदी पर आ गयी है.

रोजगार सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं में इस दौरान बढ़कर 20 फीसदी पर पहुंच गयी. पिछले सर्वेक्षण में इसमें इसका स्तर 17 फीसदी पर था. सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों में से 83 फीसदी ने अपनी आय में बढ़ोतरी की संभावना को लेकर सकारात्मक संकेत दिये. पिछले साल की अंतिम तिमाही में ऐसा मानने वाले 84 फीसदी थे.

खर्च और बचत के संदर्भ में 66 फीसदी शहरी लोगों ने माना कि अगले 12 महीनों तक के लिए खरीददारी की इच्छा पूरी करने का यह सही समय है. यह अनुपात पिछली तिमाही से चार फीसदी कम है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता धारणा में सुधार हुआ है.

इसका सूचकांक पिछले साल की अंतिम तिमाही की तुलना में तीन अंक ऊपर होकर इस साल की दूसरी तिमाही में 104 पर पहुंच गया है. एशियाई बाजारों में उपभोक्ता धारणा सबसे मजबूत रही. यूरोप और लैटिन अमेरिका के अधिकांश बाजारों में भी धारणा में सुधार हुआ.

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