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इन्फोसिस के पूर्व सीफओ ने कहा – नदंन नीलेकणि सम्मानित और वैश्विक चेहरा, उन्हें बनाना चाहिए चेयरमैन

बेंगलुरू : देश की अग्रणी आइटी कंपनी इन्फोसिस में चल रहे उठापटक के बीच इन्फोसिस के नये सीइओ को लेकर कई तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं. इस बीच इन्फोसिस के संस्थागत निवेशकों का प्रतिनिधित्व करने वाले करीब 12 फंड मैनेजरों ने पूर्व संस्थापक निदेशक नंदन नीलेकेणि को बोर्ड में वापस लाने की मांग […]

बेंगलुरू : देश की अग्रणी आइटी कंपनी इन्फोसिस में चल रहे उठापटक के बीच इन्फोसिस के नये सीइओ को लेकर कई तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं. इस बीच इन्फोसिस के संस्थागत निवेशकों का प्रतिनिधित्व करने वाले करीब 12 फंड मैनेजरों ने पूर्व संस्थापक निदेशक नंदन नीलेकेणि को बोर्ड में वापस लाने की मांग की है. ज्ञात हो कि इन 12 निवेशकों में आईसीआईसीआई, एचडीएफस और कई प्रतिष्ठित बैंक शामिल है. उधर कंपनी के अंदरूनी विवाद का असर शेयर मार्केट पर भी देखा जा रहा है. इन्फोसिस के शेयरों में भी देखने को मिल रहा है. कल इन्फोसिस कंपनी के शेयर में 5.37 फीसदी गिरावट दर्ज की गयी है.देश के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट ‘आधार’ के लिए सरकार ने 2009 में नीलेकणी को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया का चेयरमैन बनाया था. वह 2014 तक इस पद पर थे.

नंदन नीलेकेणि ही क्यों ?
निवेशकों का कहना है कि नीलेकेणि को कंपनी के गैर कार्यकारी चेयरमैन के रूप में वापस लिया जाना चाहिए. नीलेकणि मार्च 2002 से 2007 तक कंपनी के सीईओ रह चुके हैं और कंपनी के संस्थापक सदस्यों में से एक है. इन्फोसिसमें नारायण मूर्ति के बाद वह दूसरे सबसे महत्वपूर्ण शख्स माने जाते थे. इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) वी बालकृष्णन ने कहा कि मौजूदा स्थिति में अपने अनुभव और ग्राहकों की समझ की वजह से नीलेकणि संगठन की अगुवाई करने के लिए एक ‘अच्छा चेहरा ‘ हो सकते हैं. बालकृष्णन की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जबकि कई हल्कों से यह मांग उठ रहा है कि नीलेकणि को इन्फोसिस में वापस लाया जाना चाहिए. बालकृष्णन ने कहा, ‘ ‘मौजूदा स्थिति में निदेशक मंडल को नीलेकणि को वापस लाने पर विचार करना चाहिए और मौजूदा चेयरमैन (आर शेषसायी) तथा सह चेयरमैन (रवि वेंकटेशन) को इस्तीफा देना चाहिए.
बालकृष्णन ने नीलेकेणि के वकालत करते हुए कहा कि इन्फोसिस में नीलेकणि का कार्यकाल काफी अच्छा रहा था. उनका ग्राहकों के साथ अच्छा संपर्क था. उन्होंने कहा, ‘ ‘नीलेकणि इस समय वैश्विक और सम्मानित चेहरा हैं. इसके अलावा वह आधार जैसी बडी सरकारी परियोजनाओं के लिए काम कर चुके हैं. ‘ ‘ हालांकि, इसके बालकृष्णन ने स्पष्ट किया कि इस समय नीलेकणि की वापसी सिर्फ अटकल है. इन्फोसिस के पहले गैर संस्थापक सीईओ विशाल सिक्का ने पिछले सप्ताह अचानक इस्तीफा दे दिया था. इन्फोसिस के निदेशक मंडल ने इसके लिए कंपनी के सह संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति को जिम्मेदार ठहराया था. कंपनी ने कहा है कि वह 31 मार्च, 2018 तक नए सीईओ की तलाश का काम पूरा कर लेगी.

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