नयी दिल्ली: आयकर विभाग ने हांग कांग स्थित हचिसन समूह से उसके वोडाफोन के साथ हुए सौदे में कथित पूंजीगत लाभ पर कर, ब्याज और जुर्माना सहित कुल 32,230 करोड़ रुपये की मांग की है. वर्ष 2007 में हुए 11 अरब डॉलर के इस सौदे में हचिसन ने भारत के अपने मोबाइल व्यावसाय को वोडाफोन को बेचा था. हांग कांग के अरबपति उद्यमी ली का-शिंग की हचिसन होल्डिंग्स लिमिटेड ने हांग कांग स्टॉक एक्सचेंज को दी गयी जानकारी में कहा है कि उसकी दूर संचार इकाई हचिसन टेलिकम्युनिकेशंस इंटरनेशनल लिमिटेड को आयकर विभाग से 7,900 करोड़ रुपये की कर मांग का नोटिस मिला है.
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आयकर विभाग की ओर से कर मांग के अलावा 16,430 करोड़ रुपये का ब्याज और 7,900 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि की भी मांग की गयी है. कंपनी ने कहा है कि सीके हचिसन की इकाई का इस कर मांग की वैधता को लेकर मतभेद बरकरार है. यह पहला मौका है, जब हांग कांग की कंपनी से कर की मांग की गयी है.
अब तक भारत सरकार वोडाफोन पर ही इस कर मांग के लिए दबाव डालती रही है. इससे पहले कर विभाग ने शुरुआत में वोडाफोन पर सौदे के तहत भुगतान करते समय कर कटौती नहीं करने पर 7,900 करोड़ रुपये का कर नोटिस दिया था. कर बकाया, उस पर ब्याज और जुर्माना सहित यह राशि 20,000 करोड़ रुपये से ऊपर निकल गयी.
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. शीर्ष अदालत ने जनवरी, 2012 में फैसला दिया कि इस अधिग्रहण सौदे में कंपनी पर कर नहीं बनता. इसके बाद सरकार ने कर कानून में संशोधन करते हुए पिछली तिथि से कर का प्रावधान कर दिया. हालांकि, वोडफोन ने इस कर को नहीं माना और मामले को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में ले गयी. सरकार ने वोडफोन के साथ साथ ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी से भी केयर्न इंडिया सौदे में इसी तरह की कर मांग की है. केयर्न एनर्जी पर 10,247 करोड़ रुपये की मूल कर मांग की है. यह मामला भी अंतर्राष्टीय मध्यस्थता अदालत के समक्ष लंबित है.
सीके हचिसन होल्डिंग्स लिमिटेड की अप्रत्यक्ष रूप से पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई, हचीसन टेलीकॉम को भारतीय कर प्रशासन से 24 नवंबर, 2016 को कर आकलन आदेश प्राप्त हुआ था. कर विभाग ने इस सौदे से हासिल पूंजीगत लाभ पर 25 जनवरी, 2017 को 7,900 करोड़ रुपये का अंतिम आकलन भेजा है. इस राशि पर आयकर विभाग ने तीन जुलाई को करीब 7,900 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया. इस पर करीब 16,430 करोड़ रुपये का ब्याज भी लगाया गया है.
कंपनी ने कहा है कि उस पर वैधानिक रूप से कर नहीं लगाया जा सकता. जो भी कर मांग की गयी है, वह सुप्रीम कोर्ट के जनवरी, 2012 में दिये गये फैसले को पलटते हुए पिछली तिथि से लागू किये गये एक कानून के आधार पर भेजी गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह अधिग्रहण भारत में कर लगाने योग्य नहीं है. इस लिहाज से कर मांग अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है. वोडफोन ने 2007 में हचीसन व्हाम्पोआ के मोबाइल फोन कारोबार में 67 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था. हचीसन व्हाम्पोआ अब सी के हचीसन का हिस्सा है.
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