मुंबई: रिजर्व बैंक ने बुधवार को अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि कि 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नोटबंदी की घोषणा करने के बाद बैंकों के पास 1000 रुपये की 8 करोड़ 90 लाख प्रतिबंधित नोट वापस नहीं आये. केंद्रीय बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद नोट की प्रिंटिंग की लागत में बढ़ोतरी हुई है.
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इतना ही नहीं, नोटबंदी के बाद नोटों की छपाई की लागत में भी बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2016 में रिजर्व बैंक को नोटों की छपाई के लिए 3,421 करोड़ रुपये खर्च किये थे. वहीं, नोटबंदी के बाद वित्त वर्ष 2017 में यह खर्च बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये हो गया. इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जारी रिपोर्ट में इस वक्त 2000 रुपये के करीब 3285 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं. 2000 रुपये की कुल वैल्यू 6571 बिलियन रुपये है. इस समय देश में 500 के 5882 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं, जिनका मूल्य करीब 2941 बिलियन है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को देश में नोटबंदी की घोषणा करते हुए सबसे अधिक प्रचलित 500 और 1000 रुपये के नोट को बाजार से बाहर कर दिया था. इसके बाद केंद्रीय बैंक ने पहले 2000 रुपये की नये नोटों का संचार शुरू किया और कुछ दिनों बाद नयी शृंखला की 500 रुपये के नोटों को शुरू किया. हालांकि, नोटंबदी के बाद लगातार केंद्रीय बैंक पर पूरी प्रक्रिया के दौरान देश के अलग-अलग बैंकों में जमा हुए प्रतिबंधित नोट का आंकड़ा पेश करने का दबाव था, लेकिन इन आंकड़ों के जारी करने के लिए रिजर्व बैंक की दलील थी कि नोटों की गिनती की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है.
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च, 2017 तक 8,925 करोड़ के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. रिजर्व बैंक के मुताबिक, सर्कुलेशन वाले नोट वे हैं, जो रिजर्व बैंक से बाहर हैं. इस तरह, यह आंकड़ा पिछले साल 8 नवंबर से शुरू होने वाले नोटबंदी के बाद बैंकों में 1,000 के जमा किये गये सभी नोटों का प्रतिनिधित्व करता है.
वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार के तीन फरवरी को लोकसभा में दिये गये बयान के मुताबिक 8 नवंबर तक 6.86 करोड़ रुपये से ज्यादा के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. मार्च, 2017 तक सर्कुलेशन वाले 1000 के नोट कुल नोटों का 1.3 फीसदी थे. इसका मतलब 98.7 फीसदी नोट रिजर्व बैंक में लौट आये थे .
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