11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नेट निरपेक्षता पर महीने भर में सिफारिशें दे सकता है ट्राई

नयी दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने बुधवार को कहा कि वह नेट निरपेक्षता के विवादास्पद मुद्दे पर अपनी सिफारिशों को महीने भर में अंतिम रूप दे सकता है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने इस मुद्दे पर यहां एक खुली चर्चा के दौरान कहा कि नेट निरपक्षेता के मुद्दे पर बहस […]

नयी दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने बुधवार को कहा कि वह नेट निरपेक्षता के विवादास्पद मुद्दे पर अपनी सिफारिशों को महीने भर में अंतिम रूप दे सकता है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने इस मुद्दे पर यहां एक खुली चर्चा के दौरान कहा कि नेट निरपक्षेता के मुद्दे पर बहस में सभी भागीदार सक्रियता से भाग ले रहे हैं. मुझे लगता है कि ट्राई सरकार को उचित राय दे पायेगा, जिसके लिए उसे कहा गया है. सिफारिशों के लिए सयम सीमा के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि इसमें एक महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए.

इसे भी पढ़ें: नेट निरपेक्षता: ट्राई व फेसबुक में जुबानी जंग

दूरसंचार कंपनियों की ‘इंटरनेट’ व ‘कंटेंट ‘ को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की मांग पर शर्मा ने कहा कि भेदकारी शुल्क दरों पर उसके नियमन में यह परिभाषा पहले ही दी जा चुकी है. भागीदार इस बारे में अपनी राय दे सकते हैं, जिससे ‘इंटरनेट ‘ व ‘कंटेंट ‘ की परिभाषा में संशोधन में मदद मिलेगी. शर्मा ने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय नियमाकों के कामकाज को देखेंगे, लेकिन नीति का निर्धारण भारतीय परिवेश के हिसाब से ही होना चाहिए.

इस चर्चा में उपस्थित प्रमुख इंटरनेट कंपनियों के प्रतिनिधि कोई मुद्दा उठाते नजर नहीं आये, जबकि गैर-सरकारी संगठनों के लोगों ने दूरसंचार कंपनियों का प्रतिवाद करते हुए कंटेंट प्रदाताओं का समर्थन किया. रिलायंस कम्युनिकेशंस के एक प्रतिनिधि ने कहा कि ट्राई को अपनी सिफारिशें देते समय इंटरनेट कंपनियों के भेदभाव वाले व्यवहार को भी ध्यान में रखना चाहिए. उन्होंने वाणिज्यिक कंटेंट तथा विज्ञापन वाली सामग्री के मामले में दूरसंचार कंपनियों को छूट देने की वकालत की.

सेव द इंटरनेट से जुडे निखिल पाहवा ने इस तर्क पर आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि इससे दूरसंचार कंपनियों द्वारा ‘वसूली ‘ की राह खुलेगी. सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने ‘वसूली ‘ शब्द पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने तो कंटेंट प्रदाताओं को ‘बेटिकट यात्री ‘ नहीं कहा. उल्लेखनीय है कि नेट निरपेक्षता से आशय डेटा स्पीड व लागत में किसी तरह के भेदभाव बिना सभी के लिए इंटरनेट तक समान पहुंच से है. इसको लेकर दूरसंचार कंपनियों व इंटरनेट सामग्री प्रदाताओं में खींचतान है.

दूरसंचार कंपनियां चाहती हैं कि उन्हें वीडियो व वाणिज्यिक वेबसाइट जैसी सामग्री के लिए कारोबारी हितों के आधार पर शुल्क वसूलने का अधिकार मिले, ताकि वे इस दूरसंचार बुनियादी ढांचा खड़ा करने में निवेश कर सकें. वहीं, इंटरनेट कंपनियां चाहती हैं कि इंटरनेट कम से कम लागत पर उपलब्ध हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन हों. इसके साथ ही, ये कंपनियां इंटरनेट स्पीड व लागत के आधार आनलाइन सामग्री तक पहुंच में कोई भेदभाव नहीं करें.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें