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NITI आयोग में अरविंद पनगढ़िया का आज आखिरी दिन, नौकरियां बढ़ाने के लिए उन्होंने दी थी अहम सलाह

नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अरविंद पनगढ़िया का आज आखिरी दिन है. जनवरी 2015 में उन्हें नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष बनाया गया था. नीति आयोग को सक्रिय संस्था बनाने में अरविंद पनगढ़िया की अहम भूमिका रही. योजना आयोग के उलट नीति आयोग को पनगढ़िया ने प्रोफेशनल अंदाज दिया. बाहर […]

नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अरविंद पनगढ़िया का आज आखिरी दिन है. जनवरी 2015 में उन्हें नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष बनाया गया था. नीति आयोग को सक्रिय संस्था बनाने में अरविंद पनगढ़िया की अहम भूमिका रही. योजना आयोग के उलट नीति आयोग को पनगढ़िया ने प्रोफेशनल अंदाज दिया. बाहर से नये एक्सपर्ट जोड़े. पिछले दो साल में नीति आयोग की छवि एक बेहतरीन इनपुट व प्लानिंग एजेंसी के रूप में रही. नीति आयोग द्वारा जारी ‘एक्शन प्लान’ की काफी तारीफ की गयी. इस एक्शन प्लान में न सिर्फ भारत के अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं का जिक्र है बल्कि उनके समाधान को लेकर भी सुझाव दिया गया है.

जानिए कौन हैं अरविंद पनगढ़िया, जिन्होंने NITI आयोग को कह दिया है ‘गुड बाय’

पनगढ़िया को एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं. लिहाजा उन्हें एशियाई देशों के अर्थव्यवस्था की गहरी समझ है पनगढ़िया विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम कर चुके हैं. उन्होंने भारत में रोजगार के बढ़ावा के लिए ‘कोस्टल इकोनॉमिक जोन’ बनाने का सुझाव दिया था. इससे पहले भारत में रोजगार पैदा करने के लिए सेज बनाया गया था लेकिन सेज को कामयाबी नहीं मिल पायी. सेज की जगह समुद्रतटीय इलाकों में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की बात कही गयी थी, क्योंकि समुद्रतटों से माल की आवाजही आसान हो जाती है.
नीति आयोग ने तीन साल के एक्शन प्लान में भारत में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए चीन के एक शहर का हवाला देते हुए कहा कि अगर भारत में नौकरियां बढ़ानी है तो चीन के शिनजेन शहर से सीखना होगा. इस शहर को दुनिया के हार्डवेयर सिटी के रूप में जाना जाता है. मात्र तीस सालों में शेनजेन शहर दुनिया के नक्शे में पहचाना जाने लगा. 1980 के दशक में चीन का यह शहर सिर्फ मछलियों के लिए जाना जाता था. लेकिन आज यह हार्डवेयर और स्मार्टफोन की दुनिया में सिलीकॉन वैली के बराबर की प्रतिष्ठा हासिल है.
1980 से पहले एक छोटा कस्बा था शेनजेन
1980 से पहले शेनजेन एक छोटा कस्बा था. जिसकी आबादी मात्र तीस लाख थी. आज इसकी आबादी एक करोड़ दस लाख है. 2050 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस शहर की तरक्की की कहानी उस वक्त लिखनी शुरू हुई. जब चीन की सरकार ने वहां सेज बनाया. समुद्रतटीय क्षेत्र होने की वजह से आयात और निर्यात आसानी से संभव था. उन दिनों हांगकांग, जापान, कोरिया और ताइवान में लेबर कोस्ट बढ़ चुका था. इन देशों के हार्डवेयर निर्मताओं को एक ऐसे जगह की तलाश थी जहां सस्ता श्रमिक हो. शिनजेन में वह सब कुछ था, जो किसी स्मार्टफोन कंपनी के फलने-फूलने के लिए होना चाहिए. आज चीन के इस शहर में स्मार्टफोन कंपनियों का हब है. यहां कई बड़ी कंपनियों के फोन का निर्माण होता है. वहीं छोटे-छोटे उद्योग भी स्मार्टफोन से जुड़े हैं. इनमें स्मार्टफोन के ग्लास से लेकर स्मार्टफोन उद्योग से जुड़े छोटे-छोटे उपकरण तक शामिल हैं.
अच्छे शहरों की कमी से भी रोजगार पैदा होने में आ रही है मुश्किलें
नीति आयोग द्वारा जारी हाल ही के रिपोर्ट में कहा गया था कि शहरों का सही प्रबंधन नहीं होना भी विकास में बड़ा बाधक है. नीति आयोग ने जारी रिपोर्ट में कहा है कि खराब प्रबंधन से आवासीय व व्यवसायिक परिसरों के लिए कमी होने लगती है और शहर धीरे-धीरे स्लम में बदलने लगता है. खाली स्पेस और ग्रीनरी की कमी से आउडडोर गतिविधियां कम हो पाती हैं. गाड़ियों की बढ़ती संख्या, ट्रैफिक जाम, वायु प्रदूषण और ठोस कचरों के खराब प्रबंधन से भारतीय शहरों की हालत दिन – ब – दिन खराब होते जा रही है. 2011 में 31 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती थी, जो 2015 में बढ़कर 33 प्रतिशत हो गयी है. अरविंद पनगढ़िया एयर इंडिया और घाटे में चल रही कंपनियों के बेचने के समर्थक थे. उनकी जगह राजीव कुमार लेंगे.

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