मोदी सरकार के कार्यकाल का सबसे कम GDP, लगातार दूसरी तिमाही आर्थिक वृद्धि दर चीन से पीछे
नयी दिल्ली : देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर 5.7% पर आ गयी है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरी तिमाही है जबकि भारत की आथर्कि वृद्धि दर चीन से पीछे रही है. विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
September 1, 2017 9:20 AM
नयी दिल्ली : देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर 5.7% पर आ गयी है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरी तिमाही है जबकि भारत की आथर्कि वृद्धि दर चीन से पीछे रही है. विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती के बीच नोटबंदी का असर कायम रहने से जीडीपी की वृद्धि दर कम रही है. चीन ने जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून तिमाहियों दोनों तिमाहियों में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इससे पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी. 2016-17 की पहली तिमाही की संशोधित वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत थी. सालाना आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) भारी गिरावट के साथ 1.2 रह गया.
एक साल पहले समान तिमाही में यह 10.7 प्रतिशत रहा था. इसकी मुख्य वजह यह रही कि एक जुलाई को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने की वजह से कंपनियां उत्पादन के बजाय पुराना स्टॉक निकालने पर ध्यान दे रही थीं. जीडीपी के आंकडों पर चिंता जताते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अपने निचले स्तर तक पहुंच चुकी है. इसकी वजह माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन है. जीएसटी से पहले स्टॉक निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, जीएसटी के परिचालन में आने के बाद जहां तक विनिर्माण का सवाल है यह अपने निचले स्तर तक पहुंच चुका है. यह इससे नीचे नहीं जाएगा.केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के आंकडों से पता चलता है कि पहली तिमाही की वृद्धि दर नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में सबसे कम है. मोदी सरकार ने मई, 2014 में कार्यभार संभाला था. इससे पहले जनवरी-मार्च, 2014 में जीडीपी की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत दर्ज हुई थी.
मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने कहा कि विनिर्माण जीवीए का 74 प्रतिशत निजी क्षेत्र से आता है, जिसका प्रदर्शन काफी खराब रहा. अनंत ने जीएसटी से पहले स्टॉक घटने को जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह बताया है. कंपनियों को नई व्यवस्था के अनुरुप अपने मौजूदा स्टॉक की नए सिरे से लेबलिंग करनी पडी. जेटली ने कहा, ‘ ‘हम निश्चित रुप से कम वृद्धि को लेकर चिंतित हैं. यह पूछे जाने पर क्या 2017-18 में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जा सकती है, जेटली ने कहा कि मैं इसकी उम्मीद करता हूं. जीएसटी से पहले स्टॉक निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है. जेटली ने उम्मीद जताई कि सेवा क्षेत्र की स्थिति सुधरेगी और निवेश बढने के भी संकेत हैं. सीएसओ की ओर से जारी आंकडे बाजार की उम्मीदों से कम रहे हैं. बाजार का अनुमान था कि जीडीपी की वृद्धि दर जनवरी मार्च के 6.1 प्रतिशत के आंकडे से कुछ उंची रहेगी। आंकडों के अनुसार कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर भी कम रही है.
पहली तिमाही में इस क्षेत्र में जीवीए 2.3 प्रतिशत रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 2.5 प्रतिशत था. पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि पहली तिमाही में जीएसटी की वजह से जीडीपी कमजोर रहने का अनुमान लगाया जा रहा था. सेन ने कहा, ‘ ‘जहां तक मेरा मानना है, यह मेरे विचार से 0.4 प्रतिशत कम रही है. मैं पूरे साल के लिए इसके 6.3 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद कर रहा हूं. ‘ ‘ क्रिसिल के डी के जोशी ने जीडीपी आंकडों को ‘निराशाजनक ‘ बताया. उन्होंने कहा कि उम्मीद की जा रही थी कि वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहेगी. एंजिल ब्रोकिंग के फंड मैनेजर मयूरेश जोशी ने कहा कि ‘ ‘आथर्कि वृद्धि दर पर यह दबाव जाहिरा तौर पर नोटबंदी के विलंबित प्रभाव और एक जुलाई को लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से पहले उत्पादन गतिविधियों में गिरावट के चलते रहा क्योंकि विनिर्माताओं की मुख्य चिंता जीएसटी से पहले के पुराने माल को निकालने की हो गयी थी.
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