देश के तीन सबसे अहम बैंकों में शामिल हुआ HDFC

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने एचडीएफसी बैंक को भी आज घरेलू स्तर पर महत्वपूर्ण बैंकों की सूची डी-एसआईबी में शामिल कर लिया है. इस सूची में वे वित्तीय संस्थान शामिल किए जाते हैं जिनका विफल होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए सहन नहीं किया जा सकता. यानी किसी भी तरह की वित्तीय संकट के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2017 10:08 AM

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने एचडीएफसी बैंक को भी आज घरेलू स्तर पर महत्वपूर्ण बैंकों की सूची डी-एसआईबी में शामिल कर लिया है. इस सूची में वे वित्तीय संस्थान शामिल किए जाते हैं जिनका विफल होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए सहन नहीं किया जा सकता. यानी किसी भी तरह की वित्तीय संकट के समय उन्हें सरकार से मदद अपेक्षित है. केंद्रीय बैंक ने देश के सबसे बडे बैंक एसबीआई व निजी क्षेत्र के प्रमुख आईसीआईसीआई बैंक को 2015 में डी-एसआईबी के रुप में वर्गीकृत किया गया है.

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इस तरह से वित्तीय संस्थानों की इस विशिष्ट सूची में अब तीन बैंक हो गए हैं. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक की तरह ही एचडीएफसी बैंक भी पूरी व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बैंक है. इस तरह एसआईबी को उच्च स्तर के निगरानी दायरे में रख जाता है ताकि किसी भी तरह की विफलता के समय वित्तीय सेवाएं बाधित नहीं हों.
देश में लगातार बढ़ रहा है प्राइवेट बैंकों का शेयर
सरकारी बैंकों को जहां एक ओर एनपीए से जूझना पड़ रहा है. वहीं देश की बैकिंग व्यवस्था में निजी बैंकों का शेयर लगातार बढ़ रहा हैं.मार्गन स्टेनेले के रूचिर शर्मा भारत की अर्थव्यवस्था के लिए निजी बैंकों के लगातार बढ़ते शेयर को अच्छा संकेत मानते हैं. रूचिर शर्मा ने कहा कि सरकारी बैंक जहां भारत की अर्थव्यवस्था को पीछे धकेल रहे हैं, वहीं निजी बैंकों का प्रदर्शन बेहतरीन है. उन्होंने कहा कि विकासशील देश में भारत इकलौता देश हैं जहां बैकिंग व्यवस्था में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी जरूरत से ज्यादा है. भारत के निजी बैंकों के साथ अच्छी बात यह है कि इनमें से ज्यादातर बैंक किसी परिवारिक कंपनियों की संपत्ति नहीं है.
निजीकरण की ओर तेजी से बढ़ रहा है देश
कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत अब निजीकरण अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ चुका है. एयर इंडिया का एयरवेज इंडस्ट्री में हिस्सेदारी तेजी से घट रही है. वहीं एयर इंडिया का घाटा 56,000 करोड़ के पार हो चुका है. नीति आयोग ने इसे तुरंत बेचने की सिफारिश की थी. वहीं बीएसएनल का भी दूरसंचार के क्षेत्र में सीमित मार्केट शेयर रहा गया है. जियो के आने के बाद, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल भी प्रभावित हुई है.

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