देश की 2.09 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन खत्म, डायरेक्टर्स के खिलाफ भी की गयी कार्रवाई
नयी दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने नियमों का अनुपालन नहीं करने वाली 2.09 लाख कंपनियों पंजीकरण समाप्त कर दिया और इन कंपनियों के बैंक खातों से लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने की कारवाई शुरू कर दी गयी है. मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कारवाई जारी रखते हुए सरकार ने कहा है कि जिन कंपनियों […]
नयी दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने नियमों का अनुपालन नहीं करने वाली 2.09 लाख कंपनियों पंजीकरण समाप्त कर दिया और इन कंपनियों के बैंक खातों से लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने की कारवाई शुरू कर दी गयी है. मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कारवाई जारी रखते हुए सरकार ने कहा है कि जिन कंपनियों के नाम कंपनी महापंजीयक की पंजीकरण पुस्तिका से हटा दिये गये हैं. सरकार ने कहा है कि ये कंपनियां जब तक नियम और शर्तों को पूरा नहीं कर लेती है, तब तक उनके निदेशक कंपनी के बैंक खातों से लेन-देन नहीं कर सकेंगे.
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संदेह है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल कथित तौर पर अवैध धन के लेन-देन और कर चोरी के लिए किया जाता रहा था. यहां जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार , कंपनी कानून की धारा 248-5 के तहत 2,09,032 कंपनियों के नाम कंपनी पंजीयक के रजिस्टर से काट दिये गये हैं. रजिस्टर से जिन कंपनियों के नाम काट दिये गये हैं. उनके निदेशक और प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अब इन कंपनियों के पूर्व निदशेक और पूर्वप्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता बन जायेंगे.
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी कानून की जिस धारा 248 का इस्तेमाल किया है, उसके तहत सरकार को विभिन्न कारणों के चलते कंपनियों के नाम रजिस्टर से काटने का अधिकार दिया गया है. इनमें एक वजह यह भी है कि ये कंपनियां लंबे समय तक कामकाज नहीं कर रहीं हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि जब भी कंपनियों की पुरानी स्थिति बहाल होगी, उसे रिकॉर्ड में दिखा दिया जायेगा और इन कंपनियों की स्थिति को ‘निरस्त ‘ कंपनियों से हटाकर ‘सक्रिय ‘ कंपनियों की श्रेणी में डाल दिया जायेगा.
इसमें कहा गया है कि रजिस्टर से नाम काटे जाने के साथ ही इन कंपनियों का अस्तित्च समाप्त हो गया. ऐसे में इन कंपनियों के बैंक खातों से लेन-देन को रोकने के लिए भी कदम उठाये गये हैं. विज्ञप्ति के अनुसार, वित्तीय सेवाओं के विभाग ने भारतीय बैंक संघ के जरिये बैंकों को सलाह दी है कि वह ऐसी कंपनियों के बैंक खातों से लेनदेन को रोकने के लिए तुरंत कदम उठायें. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन कंपनियों के नाम काटने के अलावा बैंकों को भी यह सलाह दी गयी है कि वह कंपनियों के साथ लेन-देन करते हुए सामान्यत: अधिक सतर्कता बरतें.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर बेशक किसी कंपनी को ‘सक्रिय ‘ बताया गया है, लेकिन यदि वह अन्य बातों के साथ साथ अपनी वित्तीय जानकारी और सालाना रिटर्न को सही समय पर दाखिल नहीं करती है, तो ऐसी कंपनी को प्रथम दृष्टया अनिवार्य सांविधिक दायित्वों का अनुपालन नहीं करने वाली संदेहास्पद कंपनी की नजर से देखा जा सकता है.
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