शेल कंपनियों के निदेशकों को कोष की हेराफेरी करने पर हो सकती है 10 साल तक की जेल

नयी दिल्ली: सरकार ने बुधवार कहा कि जिन कंपिनयों का पंजीकरण रद्द हो चुका है, उनके निदेशकों या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कंपनी के बैंक खातों से धन की हेराफेरी करने की कोशिश करने पर उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है. इसके अलावा, जिन मुखौटा कंपनियों के निदेशकों ने तीन या अधिक वर्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2017 10:53 PM

नयी दिल्ली: सरकार ने बुधवार कहा कि जिन कंपिनयों का पंजीकरण रद्द हो चुका है, उनके निदेशकों या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कंपनी के बैंक खातों से धन की हेराफेरी करने की कोशिश करने पर उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है. इसके अलावा, जिन मुखौटा कंपनियों के निदेशकों ने तीन या अधिक वर्ष के लिए अपने रिटर्न दाखिल नहीं किये हैं, उन्हें किसी अन्य कंपनी में ऐसे किसी पद पाने से अयोग्य कर दिया जायेगा.

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सरकार ने कुछ मामलों में मुखौटा कंपनियों के साथ जुड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सचिवों तथा कास्ट एकाउंटेंट की पहचान की है. कालाधन के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए सरकार ने कहा कि और मुखौटा कंपनियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और इन इकाइयों के पीछे वास्तविक लाभार्थी और लोगों को तलाशने का काम जारी है.

गौरतलब है कि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने 2.09 लाख से अधिक कंपनियों के का पंजीकरण रद्द कर दिया है. इसका कारण इन कंपनियों ने लंबे समय से कोई कारोबारी गतिविधयों को अंजाम नहीं दिया हैं. साथ ही, बैंकों को उनके बैंक खातों पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया है, उसके निदेशक या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कंपनी के बैंक खाते से धन की हेरा-फेरी की कोशिश करते हैं, तो उन्हें छह महीने से लेकर 10 साल तक की जेल हो सकती है.

सरकार ने यह भी कहा कि अगर धोखाधड़ी जनहित से जुड़े मामले में पायी जाती है, तो सजा तीन साल से कम नहीं होगी और जुर्माना संबद्ध राशि का तीन गुना होगा. ऐसी कंपनियों के निदेशकों या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कंपनी के बैंक खातों के परिचालन पर पाबंदी लगा दी गयी है. विज्ञप्ति के अनुसार, इस प्रकार की कार्रवाई से पहले भी अगर धन की हेराफेरी की गयी है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री पीपी चौधरी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक के दौरान यह भी फैसला किया गया कि अगर मुखौटा कंपनियों ने तीन या अधिक साल तक रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो इनके निदेशकों को किसी अन्य कंपनी में इस पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे. साथ ही, ऐसे व्यक्तियों को किसी भी ऐसी कंपनी में जहां वह निदेशक रहे थे, फिर से निदेशक नियुक्त किये जाने से प्रतिबंधित किया जायेगा.

विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि मुखौटा कंपनियों के पीछे वास्तविक लाभार्थियों तथा लोगों की पहचान के प्रयास किये जा रहे हैं. एजेंसियां निदेशकों की पूरी जानकारी एकत्रित कर रही है. इसके अलावा, कुछ मामलों में मुखौटा कंपनियों से संबद्ध तथा अवैध गतिविधियों में शामिल चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सचिवों, कास्ट एकाउंटेंट की भी पहचान की जा रही है. ऐसे पेशेवरों के खिलाफ उनसे संबंधित शीर्ष संस्थान कार्रवाई करेगा.

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