यूनीटेक के प्रमोटर्स को सुप्रीम कोर्ट से झटका, अंतरिम जमानत देने से किया इनकार

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रियल एस्टेट कंपनी यूनीटेक लिमिटेड के प्रमोटर्स संजय चंद्रा को गुड़गांव स्थित आवासीय परियोजना के मकान खरीदारों द्वारा कथित धोखाधड़ी के आरोप को लेकर दर्ज कराये गये मामले में शुक्रवार तक अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2017 7:36 PM

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रियल एस्टेट कंपनी यूनीटेक लिमिटेड के प्रमोटर्स संजय चंद्रा को गुड़गांव स्थित आवासीय परियोजना के मकान खरीदारों द्वारा कथित धोखाधड़ी के आरोप को लेकर दर्ज कराये गये मामले में शुक्रवार तक अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि उसकी ओर से इस कंपनी की विभिन्न परियोजनाओं , इनके फ्लैट की संख्या और खरीदारों का विवरण मिलने के बाद ही यूनीटेक के प्रमोटर्स को अंतरिम जमानत देने के पहलू पर विचार किया जायेगा.

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इसके साथ ही, अदालत ने इस मामले को 15 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया. अदालत ने इस मामले में वकील पवन सी अग्रवाल को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए उनसे कहा कि वह अपना वापस चाहने वाले और फ्लैट चाहने वालों सहित सारे विवरण पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करें. शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि धन वापस की मांग करने वालो को पैसा लौटाया जायेगा और फ्लैट चाहने वालों को वह दिया जायेगा.

संजय चंद्रा के वकील ने कहा कि उन्होंने सभी शर्तो को पूरा करने के साथ ही अब तक 20 करोड़ रुपये भी जमा कर दिया है. अंतरिम जमानत का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा है कि वह धन तभी लौटा सकेंगे, जब उन्हें अपने कार्यालय से काम करने और धन की व्यवस्था करने की अनुमति मिलेगी. पीठ ने कहा कि वह इन सभी बिंदुओं पर सुनवाई की अगली तारीख पर विचार करेगी.

संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट के 11 अगस्त के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है. हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का उन्हें निर्देश दिया था. दिल्ली के कुछ निवासियों के नेतृत्व में पांच खरीदारों ने यूनीटेक के अंथिया फ्लोर्स वाइल्ड फ्लावर काउंटी परियोजना के बारे में कंपनी के खिलाफ 2015 में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए शिकायत दायर की थी. बाद में इस कंपनी के खिलाफ 90 और शिकायतें मिलीं, जिन्हें प्राथमिकी के साथ ही संलग्न कर दिया गया.

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