नयी दिल्ली :जीएसटी लागू होने के बाद देश में पहली बार पेश होने वाले बजट की तैयारी इस सप्ताह से शुरू हो जायेगी. वित्त मंत्रालय विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए समयसीमा जारी करेगा. गौरततलब है कि अरुण जेटली को इस बजट में नोटबंदी और जीएसटी के बाद मंद पड़ी अर्थव्यस्था को धार देने के लिए कई नये फैसले लेने पड़ सकते हैं. 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले यह आखिरी पूर्ण बजट होगा. सरकार के पास बेहद कम समय है और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ – साथ नौकरियां पैदा करने की भी जिम्मेवारी है.
आजादी के बाद देश के सबसे बडे कर सुधार जीएसटी को एक जुलाई से क्रियान्वित किया गया. वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में अप्रत्यक्ष कर राजस्व अनुमान सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर मद में दिखाया गया. एक अधिकारी ने कहा कि उत्पाद शुल्क और सेवा कर (जीएसटी) के माल एवं सेवा कर में समाहित होने के साथ वर्गीकरण में बदलाव आएगा. जीएसटी से राजस्व के लिये नए वर्गीकरण को अगले वित्त वर्ष के बजट में शामिल किया जाएगा. चालू वर्ष के लिये अकाउंटिंग के दो सेट पेश किए जा सकते हैं. इसमें एक अप्रैल-जून के दौरान उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क एवं सेवा कर से प्राप्त राशि तथा अन्य जुलाई-मार्च की अवधि के लिये जीएसटी एवं सीमा शुल्क मद होगा.
अधिकारी ने कहा कि चूंकि जीएसटी दरों के बारे में निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद करेगी, ऐसे में 2018-19 के बजट में उत्पाद एवं सेवा कर से संबंधित कोई कर प्रस्ताव नहीं होगा. बजट में सरकार की नई योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ केवल प्रत्यक्ष कर व्यक्तिगत आयकर तथा कारपोरेट करके मामले में बदलाव के प्रस्ताव होंगे. इसके अलावा सीमा शुल्क का प्रस्ताव होगा. यह भाजपा नीत राजग सरकार का 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले अंतिम पूर्ण बजट होगा. व्यवस्था के तहत चुनावी वर्ष में सीमित अवधि के लिये जरुरी सरकारी खर्च को लेकर मंजूरी या लेखानुदान पेश किया जाता है और नई सरकार पूर्ण बजट पेश करती है.
अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय अगले सप्ताह बजट परिपत्र जारी करेगा और अक्तूबर से अन्य मंत्रालयों के साथ चालू वित्त वर्ष के लिये व्यय संशोधित अनुमान के लिये विचार-विमर्श शुरू करेगा. बजट परिपत्र में निर्धारित प्रारूप के साथ बजट आवश्यकता के बारे में वित्त मंत्रालय को जानकारी देने को लेकर समसीमा का जिक्र होगा.
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