नयी दिल्ली : कुछ होटलों और रेस्तरांओं द्वारा अभी भी सेवा शुल्क वसूले जाने के साथ उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से कहा है कि वे कर रिटर्न का आकलन करते समय सेवा शुल्क को आय के रूप में देखें. मौजूदा समय में सरकार द्वारा ऐसे शुल्कों को वैकल्पिक बनाने के दिशा-निर्देश के बावजूद कुछ होटल और रेस्तरां पांच से 20 फीसदी के दायरे में सेवा शुल्क लगा रहे हैं.
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उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि बड़े होटलों और रेस्तरां ने दिशा-निर्देशों का अनुपालन किया है, लेकिन राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के जरिये अभी भी उपभोक्ताओं की शिकायतें मिल रही हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि होटल और रेस्तरां को कहा गया है कि या तो वे सेवा शुल्क के कॉलम को रिक्त छोड़ दें अथवा बिल पर उल्लेख करें कि यह वैकल्पिक है.
हालांकि, पासवान ने कहा कि सेवा शुल्क का अनिवार्य रूप से भुगतान करने पर जोर देने वालों के खिलाफ शिकायतें राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के जरिये प्राप्त हो रही हैं और इसकी खबरें मीडिया में आ रही हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता के मद्देनजर उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सीबीडीटी को लिखा है कि वे कर आकलन करते समय सेवा शुल्क को भी शामिल करने के बारे में विचार करे.
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