नेटवर्किंग में सुधार आैर 66,000 टावरों को अपने अधीन करने के लिए अलग से एक कंपनी बनायेगी BSNL

नयी दिल्लीः टेलीकाॅम सेक्टर में इस समय प्राइस वार को लेकर चल रही मारामारी के बीच भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) अलग से एक कंपनी बनाकर करीब 66,000 टावरों को अपने अधीन करेगी, ताकि उसकी नेटवर्किंग में सुधार किया जा सके आैर राजस्व आमदनी में इजाफा किया जा सके. इसके लिए मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2017 9:42 AM

नयी दिल्लीः टेलीकाॅम सेक्टर में इस समय प्राइस वार को लेकर चल रही मारामारी के बीच भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) अलग से एक कंपनी बनाकर करीब 66,000 टावरों को अपने अधीन करेगी, ताकि उसकी नेटवर्किंग में सुधार किया जा सके आैर राजस्व आमदनी में इजाफा किया जा सके. इसके लिए मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट की आेर से मंजूरी भी प्रदान कर दी गयी है. कैबिनेट ने बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर संसाधनों को बीएसएनएल की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली एक अलग कंपनी में सम्मिलित करने को मंजूरी दी है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर संसाधनों को बीएसएनएल की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली एक अलग कंपनी में सम्मिलित करने को अपनी मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी से बीएसएनएल एक अलग सहायक कंपनी बनाकर अपनी दूर-संचार टावर और संरचना तैयार करने के लिए अधिकृत हो गया है.

एक आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बीएसएनएल के मोबाइल टावर कारोबार को अलग कंपनी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी. इस कंपनी पर बीएसएनएल का पूर्ण स्वामित्व होगा. बयान में कहा गया है कि मोबाइल टावर कारोबार के लिये बीएसएनएल की एक अलग स्वतंत्र प्रतिबद्ध कंपनी होने से इस क्षेत्र पर अधिक बेहतर तरीके से ध्यान दिया जा सकेगा.

बयान के अनुसार, बीएसएनएल की आेर से अलग कंपनी बनाने पर बाहरी किराया देने वालों में भी इजाफा होगा. इससे अंत में नयी कंपनी को ऊंचा राजस्व प्राप्त होगा. बयान में कहा गया है कि इस मंजूरी से बीएसएनएल को अपने दूरसंचार टावर ढांचे के मौद्रिकरण का अधिकार मिलेगा.

मोबाइल कंपनियों का टावर ढांचा कंपनी के पास निष्क्रिय बुनियादी ढांचा संपत्तियां होती हैं, जिनको वे लीज पर दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को देती हैं. इससे दूरसंचार कंपनियों में एक ही सुविधा के लिए निवेश का दोहरीकरण कम होता है. इससे इन कंपनियों की परिचालन और रखरखाव की लागत घटती है और उनका मुनाफा बेहतर होता है.

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