महज 21 साल में ही बंद होने के कगार पर टाटा की टेलीकॉम कंपनी, तैयारी में जुटे ग्रुप के चेयरमैन

नयी दिल्लीः टाटा ग्रुप की टेलीकॉम कंपनी बंद होने के कगार पर है. बताया जा रहा है कि यह समूह जल्द ही अपना टेलीकॉम कारोबार को बंद कर सकता है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन टाटा टेलीसर्विसेज को पूरी तरह से बंद करने के पक्ष में दिखाई दे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2017 5:33 PM

नयी दिल्लीः टाटा ग्रुप की टेलीकॉम कंपनी बंद होने के कगार पर है. बताया जा रहा है कि यह समूह जल्द ही अपना टेलीकॉम कारोबार को बंद कर सकता है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन टाटा टेलीसर्विसेज को पूरी तरह से बंद करने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं. कहा यह जा रहा है कि अगर यह कंपनी बंद हो जाती है, तो टाटा संस के 149 सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब उसकी एक अनुषंगी कंपनी बंद कर दी जायेगी. बताया यह भी जा रहा है कि ग्रुप की ओर से ऐसा इसलिए किया जायेगा, क्योंकि कंपनी पर 34 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है.

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गौरतलब है कि टाटा ग्रुप ने वर्ष 1996 में अपनी टेलीकॉम कंपनी टाटा इंडिकॉम की स्थापना की थी. अब कंपनी की ओर से बंद करने को लेकर की जा रही तैयारियों के बीच सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या महज 21 सालों में ही टाटा की यह टाटा इंडिकॉम नामक टेलीकॉम कंपनी बंद कर दी जायेगी. इसका कारण यह है कि आम तौर पर यह देखा गया है कि टाटा ग्रुप की ओर से किसी भी उद्यम को शुरू करने के बाद जल्द ही उसे बंद नहीं किया जाता है.

मीडिया की खबरों में कहा जा रहा है कि अगर टाटा अपने टेलीकॉम कारोबार को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लेती है, तो फिर ग्रुप की बैलेंस शीट पर इसका प्रतिकूल असर देखने को मिलेगा. टाटा के पास जीएसएम और सीडीएमए दोनों तरह की सर्विस हैं. टाटा टेलीसर्विस के पास 45 मिलियन उपभोक्ता हैं और देश के टेलीकॉम मार्केट में 4 फीसदी हिस्सेदारी है. टाटा ने अपने टेलीकॉम कारोबार को बेचने के लिए भारती एयरटेल और जियो से बात की थी, लेकिन बात नहीं बनी. इससे पहले वोडाफोन से भी बात केवल कंपनी के वैल्यूएशन पर अटक गयी.

टाटा अपने डायरेक्ट टू होम सर्विस टाटा स्काई को भी टेलीकॉम के साथ बेचने की प्लानिंग थी, लेकिन तब भी कोई इसको खरीदने के लिए राजी नहीं हुआ था. अब कंपनी इसको पूरी तरह से बंद करने का मन बना चुकी है. इसके लिए एसबीआई और अन्य बैंकों के कंशोर्सियम से ग्रुप बात कर रहा है.

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