1 करोड़ से ज्यादा GST क्लेम करने वालों की होगी जांच, सरकार के रडार पर 162 कंपनियां

नयी दिल्ली : जीएसटी को लेकर कामयाबी का जश्न मना रही सरकार को बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि 95 हजार करोड़ रुपये का कर कलेक्शन हुआ लेकिन कंपनियों ने जीएसटी व्यवस्था में जाने से पहले के 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट दावे भी किये हैं. अगर इस दावे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2017 12:47 PM

नयी दिल्ली : जीएसटी को लेकर कामयाबी का जश्न मना रही सरकार को बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि 95 हजार करोड़ रुपये का कर कलेक्शन हुआ लेकिन कंपनियों ने जीएसटी व्यवस्था में जाने से पहले के 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट दावे भी किये हैं. अगर इस दावे को सही माने लिया जाये तो सरकार के पास मात्र तीस हजार करोड़ का टैक्स संग्रह होगा. सरकार ने एक करोड़ दावे को लेकर जांच करने का फैसला लिया है.

गौरतलब है कि एक जुलाई से लागू हुई जीएसटी व्यवस्था के तहत कंपनियों को पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत किये गये स्टॉक की खरीद पर चुकाये गये कर के क्रेडिट का दावा करने की सुविधा दी गयी है.यह सुविधा जीएसटी लागू होने के छह महीने बाद तक के लिए ही उपलब्ध है. सीबीईसी ने कंपनियों और उद्यमियों की ओर से कियसे गये भारी-भरकम दावों को देखते हुए मुख्य आयुक्तों को 11 सितंबर को पत्र भेजा है. उसमें बोर्ड ने कहा कि 162 कंपनियों द्वारा एक करोड रुपये से अधिक के क्रेडिट का दावा किया गया है. बोर्ड ने इन दावों की जांच करने के लिए कहा है. जीएसटी व्यवस्था में बदलाव के दौर में एक करोड रुपये से अधिक के क्रेडिट बकाये का दावा करने वाली 162 कंपनियां अब कर प्रशासन की जांच के दायरे में है. कर प्रशासन की जांच के बाद ही तय होगा कि इन कंपनियों के दावे सही हैं या नहीं.

जुलाई में अपना पहला जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के साथ ही कंपनियों ने बकाया दावा के लिए ट्रान-1 फॉर्म भी दाखिल किया था. इन कंपनियों ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) के तहत 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाये का दावा किया था.भारी भरकम दावों के मद्देनजर बोर्ड के सदस्य महेंद्र सिंह ने पत्र में कहा था कि जीएसटी व्यवस्था की संक्रमण अवधि का बकाया तभी भुगतान किया जाएगा जब यह कानून के तहत मान्य होगा.
सीबीईसी ने कहा, गलती से या गलतफहमी में अयोग्य बकाया दावे किये जाने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है. एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट के दावों की तय समय सीमा में जांच होनी चाहिए. बोर्ड ने मुख्य आयुक्तों को कहा है कि इन 162 कंपनियों के दावों पर 20 सितंबर तक एक रिपोर्ट दें. सीबीईसी ने जीएसटी प्रणाली के तहत सिर्फ योग्य दावों को ही आगे बढाया जाना सुनिश्चित करने के लिए फील्ड ऑफिसरों से कहा है कि वे नये दाखिल रिटर्न को पुरानी व्यवस्था के तहत दाखिल रिटर्न से मिलाएं। उन्हें यह भी जांचने के लिए कहा गया है कि ये दावे जीएसटी कानून के तहत योग्य हैं या नहीं.
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह तक कुल 59.97 लाख करदाताओं में से 70 प्रतिशत ने जुलाई का रिटर्न दाखिल कर दिया था. इससे सरकार को जीएसटी के तहत 95 हजार करोड रपये का राजस्व प्राप्त हुआ. हालांकि इनमें से 65 हजार करोड़ रूपये से अधिक का पिछले कर क्रेडिट का दावा कंपनियों ने किया है

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