भारतका विदेशी मुद्रा भंडार उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. 8 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 2.604 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ आंकड़ा 400.72 अरब डॉलर हो गया है. यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह के आधार पर जारी किया है.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है. समीक्षा अधीन सप्ताह में यह 2.56 अरब डॉलर बढ़ कर 376.20 अरब डॉलर हो गयी.
एफसीए में अधिकांश भंडार अमेरिकी डॉलर, यूरो, पौंड स्टर्लिंग, जापानी येन आदि जैसे विदेशी मुद्रा की परिसंपत्तियों के रूप में हैं. जानकारों की मानें, तो कुल विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर कीहिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत हो सकती है.
आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2014 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया था. इसके बाद 100 अरब डॉलर का आंकड़ा हासिल करने में लगभग साढ़े तीन साल का समय लगा है.
इस तरह, वगत साढ़े तीन साल की अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर कीबढ़ोतरी हुई है. खासकर पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 6.6 अरब डॉलर कीवृद्धि दर्ज की गयी है.
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में उर्जित पटेल आरबीआई के गवर्नर बने थे. उनके कार्यकाल में भी अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 30 अरब डॉलर की बढ़ोतरीदर्ज की गयी है. विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे अधिक हिस्सेदारी फॉरेन करेंसी एसेट, ड्रॉइंग राइट्स और सोने की है.
यहां यह जानना दिलचस्प है कि भारत अब विदेशी मुद्रा भंडार रैंकिंग के मामले मेंदुनियाभर में छठे स्थान पर है. इस लिस्ट में चीन और जापान जैसे देशों से हम पीछे हैं, जबकि ताइवान, ब्राजील और यूरो जोन से आगे.
विदेशी मुद्रा भंडार में हुई इस बढ़ोतरी की बदौलत ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि वैश्विक बाजारों में आने वाले किसी भी तरह के संकट से मुकाबला करने में हम सक्षम होंगे.
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