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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, पूंजी को सोख रही हैं बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियां

मुंबई: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि पूंजी को सोख रही गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चिंताओं की जड़ है और सरकार कठिन समय में बैंकिंग प्रणाली के साथ एक होकर खड़ी है. उन्होंने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए त्वरित मदद का वादा किया. मालूम हो कि देश के निजी और […]

मुंबई: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि पूंजी को सोख रही गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चिंताओं की जड़ है और सरकार कठिन समय में बैंकिंग प्रणाली के साथ एक होकर खड़ी है. उन्होंने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए त्वरित मदद का वादा किया. मालूम हो कि देश के निजी और सरकारी बैंकों की एनपीए करीब आठ लाख करोड़ के आसपास पहुंच गयी है.

इसे भी पढ़ें : रिजर्व बैंक का एनपीए नियमों में संशोधन : डूबे कर्ज का निबटान करने में चूकने पर लगेगा जुर्माना

उन्होंने कहा कि सरकार निश्चित रूप से बैंकिंग प्रणाली के साथ खड़ी है. इस फंसे कर्ज की समस्या के समाधान के लिए जो भी मदद जरूरी होगी, हम उसके लिए देश की बैंकिंग प्रणाली के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि इसे मजबूत बनाया जा सके. जेटली ने कहा कि केंद्र और अधिक संसाधन के जरिये बैंकों की मदद करने की अपनी क्षमता मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है.

वे यहां इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की सालाना आम सभा को संबोधित कर रहे थे. उनका यह बयान इन अटकलों के बीच आया है कि सरकार 21 सार्वजनिक बैंकों में पूंजी निवेश बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिनकी बैंकिंग प्रणाली में 70 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी है.

उल्लेखनीय है कि बैंकों के सामने गैर निष्पादित आस्तियों एनपीए या फंसे कर्ज की बड़ी समस्या है. बैंकों के कुल 8 लाख करोड रुपये के एनपीए में केवल सार्वजनिक बैंकों का ही छह लाख करोड़ रुपये है.

अनेक विश्लेषकों का मानना है कि बजट में इस मद में किये गये 10,000 करोड़ रुपये का पुनर्पूंजीकरण का प्रावधान शायद बैंकों के लिए पर्याप्त नहीं हो. जेटली ने कहा कि फंसे कर्ज की बढ़ती मात्रा बड़ी चुनौती है. मेरी राय में आज यही मुख्य चिंता है.

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