नयी दिल्ली : देश में सितंबर में लगातार दूसरे माह विनिर्माण गतिविधियों में तेजी का रूख रहा. नये आर्डर आने और उत्पादन बढ़ने से सितंबर में विनिर्माण गतिविधियां बेहतर रहीं, हालांकि उनकी वृद्धि की रफ्तार एतिहासिक रुझानों को देखते हुए कुछ धीमी रही. एक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है.
निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सितंबर माह में 51.2 अंक रहा. अगस्त के आंकडे के मुकाबले इसमें मामूली बदलाव दिखा. इससे जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद व्यावसायिक गतिविधियों में सुधार जारी रहने का संकेत मिलता है. हालांकि यह आंकडा 54.1 के दीर्घकालिक रुझान से नीचे रहा. पीएमआई में 50 से कम अंक गिरावट को दर्शाता है जबकि इससे ऊपर का आंकडा व्यावसाय में वृद्धि का रूझान दिखाता है.
पीएमआई रिपोर्ट की लेखक और आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री आश्ना डोधिया ने कहा, सितंबर के आंकडे उत्साहवर्धक तस्वीर बनाते हैं. इन आंकडों से यह आभास मिलता है कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने से जो व्यावधान पैदा हुआ था उससे कारोबारी गतिविधियां उबरने लगीं हैं और यह क्रम जारी है. डोधिया ने कहा, विनिर्माताओं के बीच कारोबारी विश्वास भी बढा है. उन्हें लगता है कि सरकार की हाल की नीतियों से उन्हें दीर्घकाल में फायदा होगा. इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर रोजगार का अनुभव प्राप्त हुआ है जिससे कारोबारी विश्वास की पुष्टि होती है.
नये कारोबारी आर्डर मिलने से भारतीय विनिर्माताओं ने अपने कर्मचारियों की संख्या बढाई है और इसकी गति अक्तूबर 2012 के बाद सबसे ज्यादा तेज देखी गई है. मूल्य के मोर्चे पर सर्वेक्षण में कहा गया है कि हालांकि सितंबर में लागत का दबाव बढा है लेकिन मुद्रास्फीति दीर्घकालिक रझान के मुकाबले लगातार कमजोर बनी रही. डोधिया ने कहा, हाल के आर्थिक झटकों का आर्थिक वृद्धि दर पर असर बना रहेगा. आईएचएस मार्किट ने इसी के चलते 2017-18 की आर्थिक वृद्धि अनुमान को कम कर 6.8 प्रतिशत किया है. हालांकि, डोधिया का कहना है कि यह देखना होगा कि प्रधानमंत्री की नई आर्थिक सलाहकार परिषद इस मामले में क्या कदम उठाती है
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