नयी दिल्ली : जब भारत में जीडीपी पर सिर फुटव्वल की स्थिति हो और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना पड़ रहा हो तो ऐसे में हम भारतीयों के लिए एक देश का जीडीपी ग्रोथउसमें दिलचस्पी जगाता है. हम बात कर रहे हैं आयरलैंड की. मात्र 46 लाख आबादी वाला उत्तर पश्चिम यूरोप का इस छोटे से देश ने वर्ष 2015 में रिकार्ड 26.3 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ हासिल किया. यह आंकड़ा चौकाने वाला है, खासकर तब जब इस देश के सांख्यिकीविदों ने यह अनुमान लगाया था कि इस साल उनका जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत के आसपास रहेगा. दरअसल, इस जीडीपी ग्रोथ के पीछे एक दिचलस्प कहानी है और आयरिश लोगों ने यह अपनी आय या उत्पादकता बढ़ा कर नहीं बल्कि जबरदस्त ढंग से हुए विदेशी निवेश के जरिये इसे हासिलकिया है.
साल 2014 में ऐसी स्थिति बनी कीइस देश में रिकार्ड 300 बिलियन यूएस डॉलर का विदेशी निवेश हुआ, एक छोटे देश में इतनेबड़े विदेशी निवेश ने इस देश की सकल घरेलू उत्पादक की दर को करिश्माई रूप से ऊपर पहुंचाकर इतिहास बना दिया. इस दौर में कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों ने आयरलैंड की छोटी कंपनियों में अपना विलय कर लिया या भारी भरकम निवेश किया. फार्मा, मेडिकल सहित दूसरे क्षेत्रों में यह अधिक हुआ. उदाहरण के रूप में मेडट्रानिक नामक एक बड़ी अमेरिकी मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनी ने अपनी ही श्रेणी की एक बेहद छोटी आयरिश कंपनी कोविडिन में विलय कर लियाऔर आयरलैंडकी राजधानी डबलिनमेंअपना कार्यालय बना लिया.
अबइसकारूपांतरणअमेरिकीसे आयरिश कंपनी के रूप में हो गया औरवहअमेरिका के महंगे टैक्सभुगतान से मुक्त हो गयी.ऐसे अनेकोंउदाहरण हैं. छोटे से आयरलैंड में हाल के सालों में 50 हजार लोगों को फार्मास्यूटिकल एवं हेल्थकेयर सेक्टर में नौकरियां मिली हैं.
टेक्नोलॉजी क्षेत्र की कई दिग्गज कंपनियां भी आयरलैंड से अपना यूरोपीय कारोबार चला रही हैं. फेसबुक, गूगल, ट्विटर व एप्पल जैसी दिग्गज कंपनियों ने आयरलैंड में अपना कार्यालय खोल रखा है.
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