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एनसीएलटी ने मामला दिल्ली पीठ को स्थानांतरित करने की साइरस मिस्त्री की याचिका खारिज की

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण :एनसीएलटी: ने टाटा संस के हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री की अपने मामले को मुंबई से दिल्ली पीठ स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. मिस्त्री ने इसमें उनको हटाए जाने को चुनौती दी थी. एनसीएलटी के चेयरमैन एम एम कुमार की अगुवाई वाली प्रधान […]

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण :एनसीएलटी: ने टाटा संस के हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री की अपने मामले को मुंबई से दिल्ली पीठ स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. मिस्त्री ने इसमें उनको हटाए जाने को चुनौती दी थी. एनसीएलटी के चेयरमैन एम एम कुमार की अगुवाई वाली प्रधान पीठ ने मिस्त्री की दो निवेश कंपनियों पर दस लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया जो दोनों कंपनियों को साझा करना होगा.

इन दो कंपनियों साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड ने कहा था कि मुंबई पीठ कुछ पक्षपात कर सकती है. पिछले महीने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण :एनसीएलएटी: ने मिस्त्री को न्यूनतम शेयरधारिता नियम से छूट देते हुए कथितरूप से अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न की अपील दायर करने की अनुमति दी थी. एनसीएलएटी ने इस पूरे प्रकरण में अपवाद वाले और कुछ अलग परिस्थितियों के मद्देनजर यह छूट दी थी. मिस्त्री के परिवार के पास टाटा संस में 18.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.

यदि तरजीही शेयरों को हटा दिया जाए तो यह तीन प्रतिशत से कम रह जाती है, जबकि अल्पांश शेयरधारकों के खिलाफ उत्पीड़न का मामला दायर करने के लिए 10 प्रतिशत स्वामित्व जरूरी है. एनसीएलएटी ने एनसीएलटी को इस मामले पर तीन महीने में फैसला करने का निर्देश दिया है. एनसीएलटी ने पूर्व में मिस्त्री की टाटा संस के खिलाफ याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह न्यूनतम शेयरधारिता मानदंड को पूरा नहीं करते हैं.

मिस्त्री को 24 अक्तूबर, 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था. उन्हें 6 फरवरी, 2017 को होल्डिंग कंपनी के निदेशक मंडल से भी हटा दिया गया. साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने टाटा संस के खिलाफ एनसीएलटी में अपील दायर की थी. 17 अप्रैल को एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने निवेश कंपनियों की छूट की याचिका को खारिज कर दिया था. उसके बाद दोनों कंपनियां अपीलीय न्यायाधिकरण चली गयी थीं.

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