कोलकाताः रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) यानी डूबे हुए कर्ज की समस्या से निजात पाने के लिए देश के बैंकों को एक मंत्र दिया है. उन्होंने कहा है कि फंसे कर्ज की गंभीर समस्या से निबटने के लिए बैंकों को अपने बही-खातों को मजबूत करना होगा. इस समय सरकारी बैंकों की एनपीए चिंता का विषय बनी हुर्इ हैं. पिछले कुछ साल में कई बड़े कर्ज एनपीए में तब्दील हो गये हैं.
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उद्योग मंडल मर्चेन्ट्स चैंबर आॅफ काॅमर्स एंड इंडस्टरी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विश्वनाथन ने कहा कि बैंकों के लिए फंसी संपित्त गंभीर चिंता का कारण है. खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए यह ज्यादा गंभीर है. ऐसे में बैंकों के बही-खातों को दुरुस्त किये जाने की जरूरत है. रिजर्व बैंक के अन्य डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ऋण वृद्धि और बैंकों के बही-खातों में मजबूत सह-संबंध है.
विश्वनाथन ने कहा कि बैंकों का सकल एनपीए मार्च, 2017 को कुल कर्ज का 10 फीसदी था. यह एनपीए ज्यादातर सरकारी बैंकों में हैं. बही-खातों के मजबूत होने से उन्हें दबाव वाली संपत्ति से निपटने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जो परियोजनाएं शुरुआती चरण में व्यवहारिक नहीं पायी जाती हैं, उस समस्या का हल यथासंभव पुनर्गठन है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर ने कहा कि मजबूत ऋण शोधन व्यवस्था से बैंकों को साख रेटिंग में सुधार होगा और बैंकों को मजबूत होने में मदद मिलेगी.
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