वाशिंगटन : भारत ने गतिशील उभरते बाजारों के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) कोटा की समीक्षा तत्काल किये जाने का आह्वान किया है. उसका कहना है कि इससे दुनिया की जमीनी वास्तविकताएं प्रतिबिंबित होंगी.
यहां आइएमएफ और विश्वबैंक की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जतायी कि इसे 15वीं कोटा सामान्य समीक्षा के तहत पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा, कोष के संचालन ढांचा में निष्पक्षता के लिए वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप गतिशील उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के पक्ष में कोटा हिस्सेदारी समीक्षा की तत्काल जरूरत है.
जेटली ने जोर देकर कहा, हमें समयसीमा पर सहमति के मुताबिक 2019 की सालाना बैठक में 15वीं समीक्षा को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए.
उन्होंने कहा कि आइएमएफ को मजबूत कोटा आधारित संस्थान के रूप में कामकाज के लिए इन मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप से संसाधन संपन्न होने की जरूरत है.
वित्त मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार विश्वबैंक समूह के मामले में आम सहमति से मंजूर लीमा रोडमैप में 2015 की शेयरहोल्डिंग समीक्षा को 2017 की सालाना बैठक में अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचाने पर जोर दिया गया था.
उन्होंने कहा, अबतक जो प्रगति हुई है, उसको देखते हुए हम इसको पूरा करने में विफल रहे. ऐसे में हम सभी आइबीआरडी और आइएफसी दोनों के मामले में इस प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से निष्कर्ष पर पहुंचाने को आग्रह करते हैं.
जेटली ने आगाह करते हुए कहा कि समीक्षा में देरी से न केवल सदस्य देशों के विकास को जोखिम है बल्कि बहुपक्षीय विकास बैंक और आइफएसी के अस्तित्व और नेतृत्व को भी खतरा है.
उन्होंने दुनिया के वित्तीय क्षेत्र के दिग्गजों को यह भी आश्वस्त किया कि भरोसेमंद वृहत आर्थिक समायोजन और संरचनात्मक सुधारों के आधार पर भारत निरंतर मजबूती के साथ प्रदर्शन करेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि विकसित देशों में उत्पादकता में लगातार कमी और वृद्धि की संभावना का कमजोर होना चिंताजनक है. उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले समय में बाजारों में वृद्धि में सुधार की उम्मीद है.
भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती की राह पर
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा है कि मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था काफी मजबूती की राह पर है. कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने चालू वर्ष और अगले साल के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है.
भारत में हालिया दो प्रमुख सुधारों – नोटबंदी तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को ऐतिहासिक सुधार बताते हुए लेगार्ड ने कहा कि इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि लघु अवधि के लिए इससे अर्थव्यवस्था में कुछ सुस्ती आयेगी.
आइएमएफ ने पिछले सप्ताह 2017 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटा कर 6.7 प्रतिशत कर दिया. यह उसके अप्रैल और जुलाई के पिछले अनुमान से आधा प्रतिशत कम है.
इसके लिए आइएमएफ ने नोटबंदी और जीएसटी को प्रमुख वजह बताया है. आइएमएफ की प्रबंध निदेशक लेगार्ड ने कहा, जहां तक भारत का सवाल है, हमने वृद्धि दर के अनुमान को कुछ कम किया है. पर हमारा मानना है कि मध्यम से दीर्घावधि में भारत वृद्धि की राह पर है.
इसकी वजह पिछले कुछ साल के दौरान भारत में किये गये संरचनात्मक सुधार हैं. लेगार्ड ने कहा, मध्यम अवधि में हम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी मजबूत स्थिति देखते हैं.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.