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GOOGLE को चुकाना ही होगा 1457 करोड़ रुपये की कमाई पर टैक्स, जानें पूरा मामला…!

दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सर्च इंजन गूगल को बड़ा झटका लगा है. दरअसल मामला छह वर्ष पुराना है, जिसमें आयकर विभाग के साथ गूगल इंडिया काविवाद चल रहा था. अब इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनलने आयकर विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद गूगल इंडिया को अब 1,457 करोड़ रुपये की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2017 5:36 PM

दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सर्च इंजन गूगल को बड़ा झटका लगा है. दरअसल मामला छह वर्ष पुराना है, जिसमें आयकर विभाग के साथ गूगल इंडिया काविवाद चल रहा था. अब इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनलने आयकर विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया है.

इस फैसले के बाद गूगल इंडिया को अब 1,457 करोड़ रुपये की रकम पर टैक्स डिमांड मिल सकती है. कंपनी ने यह रकम गूगल आयरलैंड को भेजी थी.

दरअसल, यह पूरा मामला गूगल इंडिया और उसके आयरलैंड में मौजूद ऑफिस के बीच फंड-फ्लो से जुड़ा था. आयरलैंड को अपने आसान टैक्स नियमों के लिए जाना जाता है.

गूगल इंडिया और गूगल आयरलैंड के बीच संबंध का केंद्र ‘ऐडवर्ड्स’ प्रोग्राम है. यह ऐसा प्रोडक्ट है, जिसके जरिये एक एडवर्टाइजर वेबसाइट पर विज्ञापन प्रकाशित कर सकता है.

बेंगलुरु में आयकर विभाग ने पाया था कि गूगल इंडिया कई वर्षों से भारत में एडवर्टाइजिंग से मिलने वाले रेवेन्यू का एक हिस्सा गूगल आयरलैंड (जीआईएल) को भेज रही थी.

आयकर विभाग ने इन ट्रांजैक्शंस पर आपत्ति जतायी थी. विभाग के अनुसार, गूगल आयरलैंड को फंड भेजने पर कोई टैक्स नहीं काटा जा रहा था, जो साफ तौर पर टैक्स से बचने का मामला था.

गूगल इंडिया ने डिपार्टमेंट के इस दावे का विरोध किया था. इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) ने गूगल इंडिया की अपील खारिज कर दी.

ट्रिब्यूनल ने कहा, गूगल इंडिया और जीआईएल का इरादा स्पष्ट है कि वह भारत में टैक्स का भुगतान करने से बचना चाहती थी.

यह जरूरी था कि वह जीआईएल को भुगतान के समय टैक्स काटे, लेकिन कोई टैक्स नहीं काटा गया और भुगतान करने के लिए कोई अनुमति भी नहीं ली गयी.

यहां यह जानना गौरतलब है कि गूगल का टैक्स चोरी के मामले में यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2016 में उस पर पेरिस में टैक्स चोरी का आरोप लगा था.

पूर्व में सामने आ चुके ऐसे कुछ मामलों में एक देश में मुनाफा कमानेवाली बड़ी डिजिटल कंपनियाें का टैक्स के भुगतान का आधार दूसरे देशों में होता है, जहां कॉरपोरेट टैक्स दर काफी कम होती है.

इस तरह यह फैसला ऐसीमंशा रखनेवाली अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है.

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