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छोटी बचत योजना में निवेश करने के लिए डाकघर जाना जरूरी नहीं, NSC, MIS व RD में करें निवेश

सरकार ने अभी हाल ही में बैंकों को यह सुविधा प्रदान की है कि वे सिर्फ पोस्ट ऑफिस में चल रही विभिन्न छोटी बचत योजनाओं जैसे राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी), मासिक आय योजना (एमआइएस) और आवर्ती जमा (रेकरिंग डिपोजिट) योजनाओं में निवेश को शुरु कर सकते हैं और उसमें रकम प्राप्त सकते हैं. अब बैंकों […]

सरकार ने अभी हाल ही में बैंकों को यह सुविधा प्रदान की है कि वे सिर्फ पोस्ट ऑफिस में चल रही विभिन्न छोटी बचत योजनाओं जैसे राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी), मासिक आय योजना (एमआइएस) और आवर्ती जमा (रेकरिंग डिपोजिट) योजनाओं में निवेश को शुरु कर सकते हैं और उसमें रकम प्राप्त सकते हैं.
अब बैंकों में एनएससी, एमआइएस, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि खाता, सीनियर सिटीजन बचत योजना उपलब्ध रहेगी जिसका निवेशक कभी भी सुविधानुसार उपयोग कर सकता है.
छोटी बचत योजनाओं में निवेश प्रक्रिया को सरल और बाधा मुक्त बनाने के लिए सरकार ने बैंकों को डाकघर में चलनेवाली एनएससी, एमआइएस, आवर्ति जमा योजनाओं के तहत पैसे जमा लेने की सुविधा प्रदान की है. इनमें कुछ प्राइवेट बैंक आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी बैंक व एक्सिस बैंक भी शामिल किया गया है.
अभी बैंकों में पब्लिक प्रोविडेंड फंड (पीपीएफ), सुकन्या समृद्धि योजना और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना-2004 के तहत जमा प्राप्त किया जाता है. सरकार के इस फैसले के बाद से इन योजनाओं में निवेश में तेजी आ सकती है क्योंकि बैंकों की तुलना में इन छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर अधिक है. अप्रैल-2016 से छोटी बचत योजनाओं का ब्याज दर हर तिमाही पर पुन: निर्धारित किया जाता है जो उसके परफार्मेंस पर निर्भर करता है. इस साल सितंबर में सरकार ने इन छोटी बचत योजनाओं के लिए अक्तूबर-दिसंबर तिमाही के लिए ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है.
सरकार ने छोटी बचत योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया है. सभी जमाकर्ताओं को 31 दिसंबर 2017 तक अपने खाता के साथ 12 अंकों का विशिष्ट पहचान संख्या को जोड़ने का समय दिया गया है.
मासिक आय योजना
पांच वर्षीय मासिक आय योजना (मंथली इनकम स्कीम) डाकघरों में चलने वाली एक लोकप्रिय योजना है जिससे प्रति माह पैसे प्राप्त किये जा सकते हैं. इस योजना के तहत एक व्यक्ति 4.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकता है, जबकि संयुक्त खाताधारक नौ लाख का निवेश कर सकते हैं.
आज के समय में इस निवेश पर प्रति वर्ष 7.5 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान प्रति माह किया जाता है. इसमें निवेश की गयी राशि पूरी तरह सुरक्षित रहती है क्योंकि इसकी सुरक्षा का पूरा जिम्मा सरकार लेती है. इस तरह के खाते को या निवेश को एक डाकघर से दूसरे डाकघर में स्थानांतरित करने की भी सुविधा है.
इस योजना के तहत कितने भी खाते खुलवाये जा सकते हैं सिर्फ यह ध्यान रखना होगा की कुल निवेश की रकम अधिकतम निवेश की सीमा के अंदर ही हो. इस निवेश को पांच साल के पहले भी तोड़ा जा सकता है. इस पर कुछ पेनाल्टी ली जाती है. इस योजना में निवेश करने के लिए निवेशक को पोस्टऑफिस में एक बचत खाता खुलवाना जरूरी होता है जिससे कि मासिक आय का भुगतान उस खाते के माध्यम से हो सके. इस योजना पर होने वाली आय वैसे तो आयकर के दायरे में आता है लेकिन यहां स्रोत पर कर भुगतान नहीं होता है.
बैंकों की तुलना में इन छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर अधिक
रेकरिंग डिपोजिट
हर महीना एक छोटी रकम को लगातार जमा करने की यह योजना है. इसमें पांच वर्ष तक लगातार निवेश किया जाता है. इस पर 7.1 फीसदी वार्षिक का ब्याज दिया जा रहा है. इसके तहत कई खाते खोले जा सकते हैं. बच्चों के नाम से भी खोल सकते हैं. इस योजना के तहत नॉमिनेशन की सुविधा खाता खोलने के समय ही दी जाती है. वैसे निवेशक जो अपना एमआइएस के तहत प्रति माह प्राप्त होने वाली राशि को पुन: निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहतर विकल्प है.
राष्ट्रीय बचत पत्र
डाकघर की सबसे लोकप्रिय योजना है राष्ट्रीय बचत पत्र योजना. यह पांच वर्षीय योजना आयकर अधिनियम 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के कर छूट का लाभ देता है.
इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं होती है. और इन बचत पत्रों के आधार पर बैंकों से आसानी से लोन प्राप्त किया जा सकता है. अभी इस योजना में 7.8 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज दिया जाता है. सेवानिवृत के लिए यह एक बेहतर योजना है अगर इसमें समयबद्ध योजना अनुसार निवेश किया जाये. समय समाप्त होने पर पूरी रकम ब्याज सहित बचत खाते में चली आती है.
एक साल पूरा होने पर प्राप्त होने वाले ब्याज को मूल रकम के साथ जोड़ कर फिर से निवेश कर दिया जाता है और आयकर अधिनियम 80सी के तहत इससे मिलने वाले छूट का लाभ अर्जित किया जा सकता है. योजना के अंतिम वर्ष में पुन:निवेश की सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है, इसलिए इस वर्ष निवेशक को आयकर की छूट का लाभ नहीं मिल पाता है और इस वर्ष प्राप्त होने वाला ब्याज आयकर के दायरे में आ जाता है. इस योजना में भी स्रोत पर कर कटौती नहीं होती है.
जानें म्युचुअल फंड का प्रदर्शन
अगर किसी फंड का रिटर्न नीचे गिरता है, तो उसके प्रदर्शन को जानने के लिए सबसे पहले हमें उसके स्टैंडर्ड से उसकी तुलना करनी होगी. यह स्टैंडर्ड फंड का बेंचमार्क या मानदंड होता है. किसी भी म्युचुअल फंड का बेंचमार्क हमें उसके प्रदर्शन को समझने में मदद करता है. स्कीम बेंचमार्क एक सूचकांक होता है जो फंड हाउस के द्वारा निर्धारित किया जाता है.
यह स्कीम के रिटर्न के लिए मानक की तरह काम करता है. सेंसेक्स और निफ्टी भारत में साधारण तौर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले बेंचमार्क हैं. दूसरे बेंचमार्क में निफ्टी 500, निफ्टी 100, सीएनएक्स मिडकैप, सीएनएक्स स्मालकैप, एसएंडपी बीएसइ 200 आदि हैं. ये बेंचमार्क निवेशकों को अपने निवेश को लेकर प्रदर्शनों के तुलनात्मक अध्ययन का अवसर प्रदान करते हैं. एक बार किसी फंड का प्रदर्शन जान लेने के बाद आप निर्णय ले सकते हैं कि आपको किस फंड में निवेश करना है और कहां नहीं.
बैंकों के फिक्स डिपोजिट की ब्याज दर
सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंकों में एक से लेकर पांच साल तक के निवेश पर ब्याज दर
बैंक 1 साल 3 साल 5 साल
इलाहाबाद बैंक 6.6 6.5 6.5
आंध्रा बैंक 6.5 6.25 6.25
बैंक ऑफ बड़ौदा 6.6 6.5 6.5
बैंक ऑफ इंडिया 6.6 6.3 6.25
केनरा बैंक 6.5 6.2 6
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 6.6 6.5 6.5
बैंक 1 साल 3 साल 5 साल
पंजाब नेशनल बैंक 6.6 6.5 6.25
यूको बैंक 6.5 6.4 6.25
यूनियन बैंक 6.75 6.5 6.5
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 6.5 6.25 6.25
आइडीबीआइ बैंक 6.75 6.25 6
19 अक्तूबर 2017 को अपडेट हुए आंकड़े के अनुसार.
एक्सपर्ट की राय
गिरते ब्याज दरों में कहां करें निवेश
ललित त्रिपाठी
निवेश सलाहकार
जब बैंकों के ब्याज दरों में कमी हो रही है, और ऐसे में वैसे निवेशक जो कम से कम रिस्क में बेहतर रिटर्न चाहते हैं और साथ ही शेयर मार्केट का जोखिम भी नहीं उठाना चाहते हैं, वैसे निवेशकों को म्युचुअल फंड के शार्ट टर्म डेब्ट फंड में निवेश करना चाहिए.
यह उनके लिए न सिर्फ बेहतर विकल्प साबित होता है बल्कि पोस्ट टैक्स रिटर्न के हिसाब से भी लाभकारी होता है क्योंकि इसमें तीन साल तक बने रहने पर इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलता है. और यह एफडी की तुलना में एक बेहतर विकल्प साबित होता है. इसमें न्यूनतम और अधिकतम निवेश की भी कोई सीमा नहीं होती है और इसमें निवेश करने के लिए एसआइपी के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है. नये निवेशकों के लिए यह सुरक्षित और बेहतर निवेश योजना है. इस पैसे को म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर बांड्स व डिबेंचर में निवेश करते हैं और उसके कूपन के माध्यम से रिटर्न जनरेट करते हैं जो कि बैंक के ब्याज दरों से अधिक होता है.
डेब्ट फंड में सुरक्षित निवेश
म्युचुअल फंड में कभी भी पिछले रिटर्न को देख कर या उसको आधार मानकर निवेश नहीं करना चाहिए. जैसे कि डेब्ट फंडों के इनकम या बांड फंडों में सही समय में निवेश करने पर ही रिटर्न बनता है. डेब्ट फंडों में और खास कर शार्ट टर्म फंड में जोखिम सबसे कम होता है. ऐसे में वैसे निवेशक जो पहली बार या बैंक ब्याज दरों की अपेक्षा सुरक्षित निवेश का विकल्प खोजते हैं, उनके लिए शार्ट टर्म फंड में निवेश सबसे सुरक्षित होता है.
इसके अलावा लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले वैसे निवेशक जो जोखिम लेने में विश्वास रखते हों, उनके लिए इक्विटी म्युचुअल फंड जैसे कि बैलेंस फंड और लार्ज कैप डाइवर्सिफाइड फंड इक्विटी में कम और मध्यम जोखिम वाले निवेश विकल्प है.
जोखिम से जरूर अवगत हों
आजकल बहुत सारे निवेशक बैलेंस फंडों में सिर्फ डिविडेंड के लिए निवेश कर रहे हैं और इसके जोखिम से अवगत नहीं हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. इक्विटी में अगर पांच साल या उससे ऊपर की अवधि के लिए निवेश करना है, तभी इस तरह के फंडों में निवेश करना सही है.
कभी भी किसी फंड में पिछले रिटर्न को देख कर या उसको आधार मान कर निवेश करना सही नहीं रहता. अपने जोखिम और निवेश की अवधि के अनुकूल ही फंडों का चयन करें ताकि निवेश में आगे चलकर कभी भी नुकसान या परेशान न होना पड़े. इसके लिए अच्छे सलाहकार की सहायता लेनी पड़े, तो जरूर लें जो आपकों सही निवेश विकल्प के बारे में बता सके.

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