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विपक्ष के निशाने के बाद भी आर्थिक मोर्चे पर सरकार की छलांग, विश्‍वबैंक की रिपोर्ट में 30 अंक का उछाल

वाशिंगटन / नयी दिल्ली : विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में अच्छा-खासा सुधार आया है. देश की रैंकिंग 30 पायदान सुधरकर 100वें स्थान पर पहुंच गयी. इसका कारण कराधान में सुधार, लाइसेंस, निवेशक संरक्षण और दिवाला मामलों के समाधान के लिये उठाया गया कदम है. विश्वबैंक की इस रिपोर्ट से नरेंद्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2017 9:27 PM

वाशिंगटन / नयी दिल्ली : विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में अच्छा-खासा सुधार आया है. देश की रैंकिंग 30 पायदान सुधरकर 100वें स्थान पर पहुंच गयी. इसका कारण कराधान में सुधार, लाइसेंस, निवेशक संरक्षण और दिवाला मामलों के समाधान के लिये उठाया गया कदम है. विश्वबैंक की इस रिपोर्ट से नरेंद्र मोदी सरकार के तरकश में नये तीर आ गये हैं. यह रिपोर्ट ऐसे समय आयी है जब मोदी सरकार जीएसटी और नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में आयी नरमी को लेकर विपक्ष के निशाने पर है.

अपनी सालाना रिपोर्ट डूइंग बिजनेस 2018 : रिफार्मिंग टू क्रिएट जॉब्स में विश्वबैंक ने कहा कि भारत की रैंकिंग 2003 से अपनाये गये 37 सुधारों में से करीब आधे का पिछले चार साल में किये गये क्रियान्वयन को प्रतिबिंबित करता है. हालांकि, रैंकिंग में जीएसटी क्रियान्वयन के बाद के कारोबारी माहौल पर गौर नहीं किया गया है. इस नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से 1.3 अरब की आबादी वाला देश एक कर के साथ एक बाजार में तब्दील हुआ और व्यापार के लिये राज्यों के बीच की बाधाएं दूर हुई है.

भारत पिछले साल 190 देशों की सूची में 130वें स्थान पर था. इस साल के आकलन में यह शीर्ष 10 सुधारकर्ता देशों में एक है. कारोबार सुगमता के 10 संकेतकों में से आठ में सुधारों को क्रियान्वित किया गया. यह पहला मौका है जब भारत इस मामले में पहले 100 देशों में शामिल हुआ है. इस वर्ष भारत एकमात्र बड़ा देश है जो इस प्रकार की उपलब्धि हासिल की है.

देश में जिन मानदंडों में 2016-17 में सुधार हुआ है, उसमें कारोबार शुरू करने में तेजी, प्रक्रियाओं में लगने वाले समय में कमी, कर्ज की आसान पहुंच, अल्पांश निवेशकों का संरक्षण, कर भुगतान, सीमा पार व्यापार को आसान बनाने तथा ऋण शोधन को सुगमत बनाना शामिल है. लेकिन इसके बावजूद भारत कारोबार शुरू करने, अनुबंध के लागू करने तथा निर्माण परमिट के मामले में अब भी पीछे है.

नयी कंपनी को पंजीकरण कराने में अब भी 30 दिन का समय लगता है जो 15 साल पहले 127 दिन था लेकिन स्थानीय उद्यमियों के लिये प्रक्रियाओं की संख्या जटिल बनी हुई है. उन्हें अब भी 12 प्रक्रियाओं से गुजरने की आवश्यकता होती है. विश्वबैंक के ग्लोबल इंडिकेटर्स ग्रुप के कार्यवाहक निदेशक रीता रमाल्हो ने वाशिंगटन में कहा, यह बड़ा उछाल है. उन्होंने 30 पायदान के सुधार के लिये मोदी सरकार की अगुवाई में 2014 से किये गये सुधारों को श्रेय दिया.

एक जुलाई से लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अगले साल की व्यापार सुगमता रिपोर्ट में प्रतिबिंबित होगा. रीता ने कहा, इस साल जीएसटी सुधारों पर गौर नहीं किया गया. इस पर अगले साल की रिपोर्ट में विचार किया जायेगा. पिछले दो साल से भारत कारोबार सुगमता रैंकिंग में 130वें स्थान पर है जबकि 2014 में 142वें स्थान पर था.

विश्वबैंक के अनुसार दुनिया में न्यूजीलैंड कारोबार के लिहाज से सबसे बेहतर जगह है. उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया और हांगकांग का स्थान है. अमेरिका तथा ब्रिटेन सूची में क्रमश: छठे और सातवें स्थान पर है. ब्रिक्स देशों में रुस सूची में अव्वल है और वह 35वें स्थान पर है. उसके बाद क्रमश: चीन का स्थान है जो लगातार दूसरे साल 78वें स्थान पर हैं.

रिपोर्ट लिखने वालों ने कहा कि यह इस साल का सबसे बड़ा आश्चर्य भारत है. उसकी रैंकिंग 30 पायदान सुधरी है. इस संदर्भ में उसका अंक 4.71 बढ़कर 60.76 अंक पहुंच गया. रीता ने कहा, भारत ने इस साल काफी सुधार किया है लेकिन अब भी काफी गुंजाइश है. इसीलिए मैं यह नहीं कहूंगी कि यह कारोबार के लिये बेहतर जगह है लेकिन निश्चित रूप से बेहतर जगह बनने की दिशा में बढ़ रहा है. दो साल पहले के मुकाबले कारोबार करना काफी आसान हुआ है.

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