Automation से डरने की जरूरत नहीं, बढ़ेंगे नौकरियों के नये अवसर

नयी दिल्ली : देश के एक प्रमुख शोध एवं शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान ने कहा है कि नवप्रवर्तन और नयी प्रौद्योगिकी से कुछ क्षेत्रों में रोजगार में कमी आ सकती है, लेकिन कुल मिलाकर स्वचालन से नौकरियां बढ़ेंगी. नीति आयोग के अंतर्गत आने वाला स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान(एनआईएलईआरडी) के महानिदेशक डाॅ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2017 12:31 PM

नयी दिल्ली : देश के एक प्रमुख शोध एवं शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान ने कहा है कि नवप्रवर्तन और नयी प्रौद्योगिकी से कुछ क्षेत्रों में रोजगार में कमी आ सकती है, लेकिन कुल मिलाकर स्वचालन से नौकरियां बढ़ेंगी.

नीति आयोग के अंतर्गत आने वाला स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान(एनआईएलईआरडी) के महानिदेशक डाॅ अरुप मित्रा ने कहा, हालांकि नवप्रवर्तन और प्रौद्योगिकी प्रगति से कहीं-कहीं रोजगार में कमी आने की आशंका है लेकिन नयी प्रौद्योगिकी से नये उत्पादों के विनिर्माण और उसके रखरखाव की जरूरतों के अनुसार नौकरियों के नये अवसर बढ़ेंगे.

कुल मिला कर इससे रोजगार बढ़ेंगे. उनसे यह पूछा गया था कि क्या स्वचालन (आॅटोमेशन) से रोजगार के अवसर खत्म होंगे. उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने भी स्वचालन (ऑटोमेशन) से नौकरियों में कमी की आशंका को खारिज करते हुए कहा है, हम प्राय: यह देखते हैं कि आॅटोमेशन से कौन-कौन सी नौकरियां जायेंगी पर हम यह नहीं देखते कि इससे कैसे दूसरे रोजगार के अवसर बढेंगे.

उन्होंने कहा था, स्वचालन हमें व्यस्त रखता है. स्वचालन सबसे ज्यादा औद्योगिक देशों में है और लोग वहां सबसे ज्यादा व्यस्त हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि रोबोट जैसे स्वचालित उत्पादों एवं अन्य संबंधित उपकरणों के विनिर्माण और उसके रखरखाव के लिए भी लोगों की जरूरत होगी और इससे नौकरियां बढ़ेंगी.

यह पूछे जाने पर कि लोगों को गुणवत्तापूर्ण रोजगार क्यों नहीं मिल रहा, डाॅ मित्रा ने कहा, कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा कृषि और सेवा क्षेत्रों में कम उत्पादकता वाले वाले रोजगार में लगा है.

विनिर्माण क्षेत्र में भी असंगठित क्षेत्र में कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा कार्यरत है और इसमें भी वैसी इकाइयां काफी ज्यादा है जहां उत्पादकता और मजदूरी कम है.

इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर ने डॉ मित्रा ने कहा कि तकनीकी शिक्षा और संस्थानों में दिये जाने वाले कौशल की खराब गुणवत्ता के कारण भी लोगों को उपयुक्त नौकरी नहीं मिलती.

उनसे यह पूछा गया था कि हर साल लाखों छात्र इंजीनियरिंग और उच्च शिक्षा लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिलती. इसके समाधान के बारे में मित्रा ने कहा, हमें शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के साथ और अधिक शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान की जरूरत है. हमें अधिक आईटीआई के साथ कौशल विकास की भी आवश्यकता है.

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