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कई चीजों पर लगने वाले 28% जीएसटी में होगी कटौती, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिये संकेत

दैनिक उपयोग में आने वाले समानों को कम जीएसटी वाली श्रेणी में रखने का विचार नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत उच्च कर 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की सूची में काट छांट किये जाने का सोमवार को संकेत दिया. जीएसटी के तहत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2017 3:36 PM

दैनिक उपयोग में आने वाले समानों को कम जीएसटी वाली श्रेणी में रखने का विचार

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत उच्च कर 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की सूची में काट छांट किये जाने का सोमवार को संकेत दिया. जीएसटी के तहत कर संग्रह अब पूर्व के स्तर पर आने के बाद उन्होंने यह संकेत दिया है. पहली जुलाई से लागू जीएसटी के तहत 1,200 से अधिक प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत कर की श्रेणी में लाया गया है.

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विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के कर निर्धारण का आधार पहले की करारोपण व्यवस्था को बनाया गया है. जिससे कि वस्तुओं और सेवाओं पर कर का भार पहले के स्तर पर रहे और सरकार के राजस्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. जेटली ने कहा कि कुछ जिंसों पर 28 प्रतिशत कर की दर पहले से ही नहीं होनी चाहिए थी और यही वजह है कि पिछली तीन-चार बैठकों में जीएसटी परिषद 100 तरह की चीजों पर जीएसटी दर में कमी की है.

वित्त मंत्री ने कहा कि इन पर कर 28 प्रतिशत से घटा कर 18 प्रतिशत और 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत पर लाया गया है. जेटली एक पत्रिका के कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्‍होंने कहा, ‘हम धीरे-धीरे कर की दर को नीचे ला रहे हैं. इसके पीछे विचार यह है कि जैसे आपका राजस्व संग्रह स्थिरता हासिल करता है, हमें इसमें कमी (उच्च कर दायरे में आने वाली वस्तुओं की संख्या में कमी) लानी चाहिए. परिषद भी अबतक इसी रूप से काम कर रही है.’

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जीएसटी परिषद की अगली बैठक 10 नवंबर को होगी और हाथ से निर्मित फर्नीचर, प्लास्टिक उत्पादों और शैम्‍पू जैसे दैनिक उपयोग के सामानों पर कर की दरें कम करने पर विचार कर सकती है. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अब जीएसटी व्यवस्था में खरीदी गयी चीजों पर लगने वाले कर पर नजर रख रहे हैं. जबकि पूर्व में उत्पाद शुल्क वस्तु की कीमत में समाहित होता था. जेटली ने कहा कि पूर्व कर व्यवस्था में यह पता नहीं होता था कि आप कितना उत्पाद शुल्क दे रहे हैं.

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