कर्ज के बोझ तले दबे जेपी के इंफ्राटेक पर JSW समेत 20 कंपनियों की नजर

नयी दिल्ली : कर्ज के बोझ तले दबे जेपी समूह की कंपनी जेपी इंफ्राटेक की लंबित रीयल एस्टेट परियोजनाओं में जेएसडब्लयू स्टील और लोढा समूह सहित करीब 20 कंपनियों ने रचि दिखाई है. ये कंपनियां इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिये 2,000 करोड रुपये निवेश करने की इच्छुक हैं. सूत्रों के अनुसार सज्जन जिंदल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2017 9:09 PM
नयी दिल्ली : कर्ज के बोझ तले दबे जेपी समूह की कंपनी जेपी इंफ्राटेक की लंबित रीयल एस्टेट परियोजनाओं में जेएसडब्लयू स्टील और लोढा समूह सहित करीब 20 कंपनियों ने रचि दिखाई है. ये कंपनियां इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिये 2,000 करोड रुपये निवेश करने की इच्छुक हैं. सूत्रों के अनुसार सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाले जेएसडब्ल्यू स्टील ने जेपी समूह की अग्रणी कंपनी जयप्रकाश एसोसियेट्स के साथ मिलकर परियोजना में रुचि दिखाई है.
इसके अलावा सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि मुंबई स्थित लोढा डेवलपर्स ने भी समूह की परियोजनाओं को पूरा करने में रचि दिखाईहै. यह कार्य दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत किया जाना है. समूह की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिये दिवाला समाधान पेशेवरों द्वारा रचि पत्र आमंत्रित किये गये हैं. समझा जाता है कि इसके जवाब में उसे विभिन्न कंपनियों से प्रतिक्रिया मिली है. इनमें कंपनियों के साथ साथ संपत्ति पुनर्गठन कंपनियां भी शामिल हैं. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत जेपी इंफ्राटेक की समाधान योजना के लिये आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले समूह से आवेदन प्राप्त किया है.
इसके लिये एनसीएलटी ने अनुज जैन को दिवाला समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है. आईआरपी ने 27 अक्तूबर को एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर जेपी इंफ्राटेक के संबंध में आवेदन आमंत्रित किये हैं. इस संबंध में रचि पत्र दाखिल करने के लिये सात नवंबर अंतिम तिथि है. जेपी इंफ्रोटेक पर आईडीबीआई बैंक का 526.11 करोड रपये कर्ज फंसा है. जेपी इंफ्राटेक ने दिल्ली से आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे बनाया है. कंपनी नोएडा में 30,000 से अधिक आवासीय फ्लैट तैयार कर रही है जो कि ज्यादातर अधूरे पडे हैं. जिन लोगों ने मकान के लिये आवेदन किया है वह परियोजनायें पूरी नहीं होने पर विरोध जता रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय ने जेपी एसोसियेट्स को उसकी रजिस्टरी में 2,000 करोड रुपये के बजाय 400 करोड़ रुपये जमा कराने की अनुमति देने से मना कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कंपनी को मामले में अपनी संवेदनशीलता दर्शाने के लिये बडी राशि जमा कराने का आदेश दिया था। बाद में न्यायालय ने कंपनी को 13 नवंबर तक कम से कम 1,000 करोड रुपये रजिस्टरी में जमा कराने को कहा

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