जानें, चार साल में कैसे बदलेगी तसवीर, बेकार हो जायेंगे आपके डेबिट, क्रेडिट और एटीएम कार्ड

नोएडा : नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने आज कहा कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ – साथ एटीएम भी अगले तीन से चार साल में बेकार हो जायेंगे और वित्तीय लेनदेन के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत में 72 प्रतिशत जनसंख्या 32 साल से कम उम्र के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2017 9:33 PM

नोएडा : नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने आज कहा कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ – साथ एटीएम भी अगले तीन से चार साल में बेकार हो जायेंगे और वित्तीय लेनदेन के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत में 72 प्रतिशत जनसंख्या 32 साल से कम उम्र के लोगों की है. ऐसे में उसके लिये यह अमेरिका और यूरोप के देशों के मुकाबले जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति दर्शाता है.

कांत ने यहां अमेटी विश्वविद्यालय के नोएडा कैंपस में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, भारत में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और एटीएम की प्रौद्योगिकी अगले तीन से चार साल में बेकार हो जायेगी और हम सभी तमाम लेनदेन करने के लिये अपने मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे होंगे. कांत को अमेटी विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में एकमात्र देश हैं जहां अरबों की संख्या में बायोमेट्रिक डेटा उपलब्ध हैं. इसके साथ ही मोबाइल फोन और बैंक खाते भी हैं इसलिए भविष्य में यह एकमात्र देश होगा जहां कई तरह की नई चीजें होंगी. ज्यादा से ज्यादा वित्तीय लेनदेन मोबाइल फोन के जरिये किये जायेंगे और यह रुझान पहले से ही दिखने लगा है. गौरतलब है कि इससे पहले भी अभिताभ कांत डेबिट, क्रेडिट व एटीएम कार्ड के बेकार होने की बात कह चुके हैं.
साल के शुरुआत के जनवरी महीने में प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन 2017 के एक सत्र को संबोधित करते हुए अमिताभ कांत ने कहा था कि ‘भारत में ये सभी चीजें बेकार हो जायेंगी और भारत यह छलांग लगायेगा कि हर भारतीय यहां केवल अपना अंगूठा लगाकर तीस सेकेंड में लेनदेन करने लगेगा ‘ युवा प्रवासी भारतीय दिवस को संबोधित करते हुये कांत ने कहा, ‘‘हम इस समय देश में डिजिटल तरीकों से भुगतान को तेजी से आगे बढा रहे हैं और इसमें कई नये तरीकों के सामने आने से काफी उठापटक चल रही है.उन्होंने कहा था कि भारत को अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था बनने की जरुरत है. अब तक यहां केवल दो से ढाई प्रतिशत लोग ही कर का भुगतान करते रहे हैं.

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