क्या है मूडीज, रेटिंग एजेंसियों पर निवेशक क्यों करते हैं भरोसा ?
मूडीज को ‘मार्डन ब्रांड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी’ का जन्मदाता माना जाता है. इसकी स्थापना जॉन मूडी ने किया था.1900 ईस्वी में सबसे पहले जॉन मूडी ने पहली बार सिक्युरिटी और अमेरिकी कंपनियों की रेटिंग दी. इस प्रकाशन ने स्टॉक, बांड , वित्तीय संस्थानों, सरकारी एजेंसियों , मैन्यूफैक्चरिंग, माइनिंग और फूड कंपनियों का आंकड़े के साथ […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
November 17, 2017 3:24 PM
मूडीज को ‘मार्डन ब्रांड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी’ का जन्मदाता माना जाता है. इसकी स्थापना जॉन मूडी ने किया था.1900 ईस्वी में सबसे पहले जॉन मूडी ने पहली बार सिक्युरिटी और अमेरिकी कंपनियों की रेटिंग दी. इस प्रकाशन ने स्टॉक, बांड , वित्तीय संस्थानों, सरकारी एजेंसियों , मैन्यूफैक्चरिंग, माइनिंग और फूड कंपनियों का आंकड़े के साथ रेटिंग किया था. इस प्रकाशन के बाद से अमेरिका में मूडीज की लोकप्रियता बढ़ने लगी. 1913 आते – आते इसकी प्रतिष्ठा चारों और फैलने लगी.
आज दुनिया में तीन प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियां है. उनमें मूडीज का नाम सबसे ऊपर है. 1924 में मूडीज ने पूरे अमेरिकन मार्केटिंग की रेटिंग की थी. आज मूडीज दुनियाभर के देशों की रेटिंग करती है. हालांकि स्टैंडर्स एंड पुअर्स मूडीज से भी पुरानी एजेंसी है और इसकी स्थापना हेनरी पुअर ने की थी.
क्रेडिट रेटिंग किसी भी देश के ऋण लेने व चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन करती है.मूडीज रेटिंग का असर दुनिया भर के निवेशकों पर पड़ता है. अगर रेटिंग अच्छी आती है तो दुनिया के निवेशक उस देश का रूख करते हैं. स्टैंडर्स एंड पुअर्स और मूडीज के अलावा फिच अन्य प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियां में शामिल है.
मूडीज ने भारत के अर्थव्यवस्था के बारे में क्या कहा
अमेरिका स्थित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों से घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होने के कारण देश की रेटिंग एक पायदान बढाकर आज बीएए2 कर दी. रेटिंग में यह सुधार 13 वर्ष बाद हुआ है. इससे पहले 2004 में देश की रेटिंग सुधारकर बीएए3 की गयी थी. वर्ष 2015 में उसने रेटिंग परिदृश्य को सकारात्मक से स्थिर किया . बीएए3 रेटिंग निवेश श्रेणी का सबसे निचला दर्जा है.
मूडीज ने अपने बयान में कहा, रेटिंग में सुधार का यह निर्णय मूडीज की इस उम्मीद पर आधारित है कि आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों में सतत प्रगति से आने वाले समय में भारत की तेज आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होंगी. इससे सरकार के ऋण के लिए स्थिर एवं बडा वित्तीय आधार तैयार होगा और यह मध्यम अवधि में सरकार के ऋण दबाव में क्रमिक कमी लाएगा. सार्वभौम रेटिंग किसी भी देश के निवेश माहौल का सूचक होता है. यह निवेशकों को किसी देश में निवेश से संबंधित जोखिमों से अवगत कराता है. इन जोखिमों में राजनीतिक जोखिम भी शामिल होता है.
लंबे समय से भारत को रेटिंग एजेंसियां निवेश की सबसे निचली श्रेणी बीएए3 में रखती आयी हैं. मूडीज ने अब इसे एक पायदान ऊपर किया है.
रेटिंग में यह सुधार ऐसे समय में किया गया है जब कुछ ही दिनों पहले विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत का स्थान 30 पायदान ऊपर कर 100 कर दिया गया था. हालांकि रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी देते हुए कर्ज के भारी दबाव को देश के क्रेडिट प्रोफायल पर नकारात्मक धब्बा बताया है. उसने कहा, मूडीज का मानना है कि सुधारों ने कर्ज में बडी वृद्धि के जोखिम को कम किया है. एजेंसी ने आगे कहा है कि सुधारों ने सतत आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर किया है. उसने कहा कि सरकार आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों की लंबी प्रक्रिया के बीच से गुजर रही है.
उसने कहा, जहां कई सारे महत्वपूर्ण सुधार अभी शुरआती अवस्था में हैं, मूडीज का मानना है कि जिन सुधारों को अब तक अमल में लाया जा चुका है वे कारोबार के माहौल में सुधार के सरकार के लक्ष्य को आगे बढाएंगे। इससे उत्पादकता बढेगी, विदेशी एवं घरेलू निवेश में तेजी आएगी और अंतत: तेज और सतत आर्थिक वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। मूडीज ने आगे कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे सुधार ने राज्यों के बीच के व्यापार की रकावटों को दूर किया है.
इसके अलावा मौद्रिक नीति ढांचे में सुधार, बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में कमी लाने को उठाये गये कदम, नोटबंदी, जैविक खातों की आधार प्रणाली, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये लाक्षित आवंटन और अर्थव्यवस्था में अनौपचारिकता में कमी जैसे सुधार महत्वपूर्ण हैं.
उसने कहा कि सुनियोजित भूमि सुधार तथा श्रम बाजार सुधार जैसे महत्वपूर्ण कदमों का फल मिलना अभी बाकी है. यह काफी हद तक राज्यों के बीच तालमेल पर निर्भर करता है. उसने कहा, इनमें से अधिकांश सुधारों का प्रभाव दिखने में समय लगेगा और जीएसटी तथा नोटबंदी जैसे कदमों ने भी निकट अवधि में वृद्धि को सुस्त किया है. एजेंसी ने मार्च 2018 में समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सुधरकर 6.7 प्रतिशत हो जाने की संभावना व्यक्त की है. हालांकि लघु एवं मध्यम उपक्रमों तथा निर्यातकों की मदद के लिए जीएसटी में किये गये सुधार से रकावटें नरम पडने के कारण वास्तविक जीडीपी वृद्धि अगले वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. उसने कहा, दीर्घकालीन संदर्भ में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं अधिकांश अन्य बीएए रेटिंग वाली अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी बेहतर हैं.
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