नयी दिल्ली : देश में डिजिटल विज्ञापन पर खर्च दिसंबर, 2018 तक बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जायेगा. एक सर्वे में कहा गया है कि डिजिटल विज्ञापन खर्च में सालाना 35 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान है. उद्योग मंडल एसोचैम और केपीएमजी के सर्वे में कहा गया है कि स्मार्टफोन और डेटा शुल्क में गिरावट की वजह से डिजिटल विज्ञापन खर्च में वृद्धि होगी.
सर्वे में कहा गया है कि फिलहाल डिजिटल विज्ञापन पर खर्च 9,800 करोड़ रुपये है. 3जी और 4जी सेवाओं के विस्तार तथा इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से डिजिटल विज्ञापन पर खर्च में बढ़ोत्तरी होगी. वर्ष 2016 के आंकडों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 के अंत तक डिजिटल विज्ञापन पर खर्च करीब 7,500 करोड़ रुपये रहा था. इसमें कहा गया है कि कुल विज्ञापन खर्च में करीब 50 प्रतिशत डिजिटल के जरिये होता है.
इसके बाद ई-कामर्स, दूरसंचार, प्रौद्योगिकी और बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा कंपनियों का नंबर आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्टफोन और टैबलेट की मांग बढ़ने से विज्ञापनदाताओं को अब अधिक लोगों तक पहुंचने में मदद मिली है. डिजिटल विज्ञापनों के साथ खास बात यह है कि ये लचीले होते हैं और किसी भी तरह के उपकरण मसलन टेलीविजन, लैपटॉप, टैबलेट या स्मार्टफोन पर इन्हें देखा जा सकता है. सर्वे में बताया गया है कि देश में 23.5 करोड़ लोग मोबाइल उपकरणों के जरिये इंटरनेट पर जाते हैं. मोबाइल एप्लिकेशंस की वजह से अब ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी पहुंचने में मदद मिल रही है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.