मुंबई : डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से लेन-देन पर शुल्कों को आज युक्तिसंगत बनाया. इसके तहत ऐसे कार्डों से लेन-देन के लिए अलग-अलग मर्चेंट डिस्काउंट दरें (एमडीआर) तय की हैं. केंद्रीय बैंक की ताजा अधिसूचना के अनुसार, 20 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार वाले छोटे मर्चेंट के लिए एमडीआर शुल्क 0.40 फीसदी तय किया गया है, जिसमें प्रति सौदा शुल्क की सीमा 200 रुपये रहेगी. यह शुल्क डेबिट कार्ड से आॅनलाइन या पीओएस के जरिये लेन-देन पर लागू होगा. वहीं, क्यूआर कोड आधारित लेन-देन में भुगतान स्वीकार करने पर शुल्क 0.30 फीसदी रहेगा. इसमें प्रति सौदा 200 रुपये शुल्क की सीमा होगी.
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रिजर्व बैंक की अधिसूचना के अनुसार, अगर किसी मर्चेंट इकाई का सालाना कारोबार 20 लाख रुपये से अधिक है, तो एमडीआर शुल्क 0.90 फीसदी होगा और इसमें प्रति लेन-देन 1,000 रुपये शुल्क की सीमा होगी. इसमें क्यूआर कोड के जरिये लेन-देन पर शुल्क 0.80 फीसदी व अधिकतम शुल्क राशि 1000 रुपये ही रहेगी.
एमडीआर कोई बैंक डेबिट व क्रेडिट कार्ड सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए मर्चेंट यानी व्यापारिक इकाई पर लगाता है. इसके तहत केंद्रीय बैंक ने कार्ड के जरिये भुगतान स्वीकार करने वाली मर्चेंट इकाइयों के नेटवर्क का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से शुल्क स्तरों में बदलाव किया है. इसका एक लक्ष्य बैंकों को नकदी रहित या कम नकदी वाली प्रणालियों में निवेश को प्रोत्साहित करना है.
इससे पहले केंद्रीय बैंक ने बुधवार को यहां मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के प्रस्ताव के साथ इस बारे में विकासात्मक व नियामकीय नीतियों पर बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि मर्चेंट इकाइयों के विस्तृत नेटवर्क पर सामान व सेवाओं की खरीद के लिए डेबिट कार्ड से भुगतान को और बल देने के उद्देश्य से मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) के लिए रूपरेखा को युक्तिसंगत बनाने का फैसला किया गया है. एमडीआर डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन पर मर्चेंट की श्रेणी के आधार पर लागू होता है.
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