राजकोषीय घाटे की रट लगाने वालों को विमल जालान ने लताड़ा, बोले-इससे आगे निकलने की जरूरत
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने शुक्रवार को कहा कि अब हमें राजकोषीय घाटे की रट से आगे निकल जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाने के लिए बार-बार बात करने के बजाय किसी सरकार के कामकाज की समीक्षा उसकी आर्थिक नीतियों के नतीजों से होनी चाहिए. […]
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने शुक्रवार को कहा कि अब हमें राजकोषीय घाटे की रट से आगे निकल जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाने के लिए बार-बार बात करने के बजाय किसी सरकार के कामकाज की समीक्षा उसकी आर्थिक नीतियों के नतीजों से होनी चाहिए.
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रिजर्व बैंक प्रवर्तित आईजीआईडीआर की संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जालान ने कहा कि हमें सभी में राजकोषीय नीतियों के लक्ष्य को लेकर रट रहती है कि यह कितना होना चाहिए, ऐसा क्यों होना चाहिए और वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के बीच क्या होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आप खुद से पूछे कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 3.2 फीसदी है या 3.4 फीसदी, इससे कोई फर्क पड़ता है. क्या इससे देश के लोगों को कोई फर्क पड़ता है.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.2 फीसदी रखा है. राजस्व संग्रहण अच्छा नहीं रहने की वजह से इस साल इसके हासिल होने को लेकर गंभीर चिंता जतायी जा रही है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद कई क्षेत्रों पर असर हुआ है. राजकोषीय घाटा राजस्व खर्च और राजस्व प्राप्तियों का अंतर होता है.
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