जमीन पर नहीं उतर सका घरेलू कंपनियों में महिलाआें को बढ़ावा देने वाला कार्यक्रम
नयी दिल्ली : घरेलू उद्योग कंपनियों में महिलाओं के लिए अवसर बढ़ाने की नीतियों का व्यावहारिक फायदा काफी कम हो रहा है. यह बात एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आयी है. सर्वे के अनुसार, महज 29 फीसदी महिलाओं ने माना कि उन्हें सच में इससे फायदा हुआ है. परामर्श देने वाली कंपनी बोस्टन कंसल्टिंग […]
नयी दिल्ली : घरेलू उद्योग कंपनियों में महिलाओं के लिए अवसर बढ़ाने की नीतियों का व्यावहारिक फायदा काफी कम हो रहा है. यह बात एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आयी है. सर्वे के अनुसार, महज 29 फीसदी महिलाओं ने माना कि उन्हें सच में इससे फायदा हुआ है. परामर्श देने वाली कंपनी बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के सर्वेक्षण में शामिल करीब 60 फीसदी महिलाओं ने माना कि उनकी कंपनियां महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर काम करती है, पर महज 29 फीसदी महिलाओं ने ही कहा कि उन्हें इन कार्यक्रमों से फायदा हुआ है.
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सर्वेक्षण में 25 बड़ी भारतीय कंपनियों की 1,500 महिला कर्मचारियों की राय ली गयी थी. इसके अनुसार, घरेलू कंपनियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज 27 प्रतिशत है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह हिस्सेदारी 38 फीसदी है. इसी तरह वरिष्ठ प्रबंधन के स्तर पर देश में महिलाओं का महज 17 फीसदी योगदान है, जबकि यह उभरते एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 26 फीसदी है. बंबई शेयर बाजार की 500 कंपनियों में से महज तीन फीसदी में महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं.
सर्वेक्षण में कहा गया कि लैंगिक विविधता कार्यक्रमों के अप्रभावी रहने का मुख्य कारण इसका खराब क्रियान्वयन है. उसने कहा कि करीब 50 फीसदी कार्यक्रम इसलिए अप्रभावी नहीं होते कि उन्हें अच्छे से तैयार नहीं किया गया, बल्कि खराब क्रियान्वयन के कारण ऐसा होता है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि कंपनियां कागजों पर नीतियां तैयार कर सुधार की उम्मीद नहीं कर सकती हैं. इसके बजाय उन्हें प्रयासों को प्रभावी बनाने के लिए व्यावहारिक चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए.
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