नयी दिल्ली : सरकार ने छुपे और फरार आयकर डिफॉल्टरों को समन जारी करने और उनके खिलाफ बकाये की वसूली की कार्रवाई के लिए बैंकों, बीमा कंपनियों और नगर निगमों के डेटाबेस से उनके पते हासिल करने का अधिकार दिया है. इसके लिए नियमों में संशोधन किये गये हैं. आयकर विभाग के अधिकारी छुपे या लापता बकाएदारों को अब तक केवल उनके पैन कार्ड (स्थायी खाता संख्या), आईटीआर (आयकर विवरणिका) या कर संबंधित पत्रव्यवहार के लिए लिखवाये गये पतों पर ही नोटिस जारी कर सकते थे.
विभाग के अधकारियों का कहना था कि कर से बचने के लिए छुप कर रह रहे लोगों के मामले में पते के केवल उपरोक्त स्रोतों से उनका काम नहीं चल रहा था. इसमें कुछ मामले ऐसे भी होते होंगे जहां पता सचमुच बदल गया हो पर करदाता ने विभाग को उसकी सूचना न दी हो. एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद हाल ही में आयकर नियमों में इस संशोधन को अधिसूचित किया गया.
यह संशोधन कर अधिकारियों को बैंकिंग कंपनी या सहकारी बैंक, भारतीय डाक, बीमा कंपनी, कृषि आय के रिटर्न और वित्तीय लेनदेन के ब्योरों में मौजूद पतों को हासिल कर कर नहीं चुका रहे लोगों तक पहुंचने की छूट देगा. 20 दिसंबर की जारी संबंधित अधिसूचना का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि इसमें जिस व्यक्ति के आयकर का आकलन किया जा रहा है उसके पते के लिए ‘सरकार के रिकॉर्ड’ में दर्ज पतों के अलावा ‘स्थानीय निकायों’ के डेटाबेस में उपलब्ध पतों को भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
सरकार के डेटाबेस से अर्थ उन सभी डेटाबेसों जैसे ड्राइविंग लाइसेंस या मतदाता पहचान पत्र से है जहां एक करदाता पंजीकृत है और स्थानीय प्राधिकरण से तात्पर्य नगर निकाय या इसी तरह के विभागों से है. नियमों में यह फेरबदल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से किया गया है, जो कि आयकर विभाग का नीति नियामक निकाय है.
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