कल हमने प्रभात खबर डॉट कॉम के बचत की बात कॉलम में इस बात परचर्चा की कि बचत एक अच्छी आदत की तरह है. आप जब इसे करने की आदत बना लेते हैं तो फिर इस काम में आपको मजा आता है. हमने रिच डैड, पुअर डैड के लेखक रॉबर्ट कियोसाकी से यह भी सीखा कि वस्तुओं की जगह खुद में निवेश करना चाहिए. अब हम उसके आगे की कड़ी में निवेश माध्यमों की बात करेंगे.
वर्तमान समय जबरदस्त शहरीकरण का दौर है. पिछले दो दशक में न सिर्फ बड़ी ग्रामीण आबादी का शहरीकरण हो गया है, बल्कि हजारों गांव भी शहर में तब्दील हो गये हैं. यह प्रक्रिया तेजी से जारी है. भारत के कुछ राज्य में शहरी आबादी 40-45 प्रतिशत के पास पहुंच गयी है. शहरी आबादी के लिए यह सबसे आवश्यक होता है कि वह अपनी बचत को एक ऐसा निवेश बनाये जहां वह अधिक से अधिक मुनाफा अर्जित कर सके.
निवेश के प्रमुख माध्यम हैं –
एफडी
बैंक रेकरिंग
इंश्योरेंस पॉलिसी
पीपीएफ
सरकारी बांड
म्यूचुअल फंड
शेयर मार्केट में सीधा निवेश
क्या आपको पता है कि पिछले तीन दशक में शेयर मार्केट ने 17.9 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है, जबकि इसके निकटम प्रतिफल 11.3 प्रतिशत प्राप्त हुआ. 1980 में इक्विटी यानी शेयरमार्केट मेंलगायेगये 100 रुपयेका मूल्य 2006 में बढ़कर 7233.67 रुपये हो गया, जबकि इसके सबसे निकट प्रतिफलदेनेवाले निवेश माध्यम में 100 रुपये का मूल्य 2006में 1617.61रुपयेहुआ.
एफडी, बैंक रेकरिंग, इंश्योरेंस पॉलिसी, पीपीएफ व सरकारी बांड बचत व निवेश के परंपरागत माध्यम हैं, जिसके बारे में हर आदमी जानता है और उसे समझता है. इनमें निवेश सुरक्षित हैं, लेकिन उनका प्रतिफल इक्विटी व एमएफ से कम होता है. लेकिन, जब मुद्रास्फीति की दर उच्च स्तर पर होतो सिर्फ परंपरागत माध्यम में आप आज जो लक्ष्य तय कर निवेश शुरू करेंगे आने वाले समय में उससे आपको अपनी जरूरतें पूरा करने में दिक्कत महसूस हो सकती है. ऐेसे में हम यहां प्रमुखता से म्यूचुअल फंड व इक्विटी निवेश पर चर्चा करेंगे.
ऊपर हमने जिस इक्विटी व उसके निकटम निवेश माध्यम से प्राप्त रिटर्न का उल्लेख किया है, दोनों में साढ़े चार गुणा अंतर है. दूसरा निवेश इक्विटी निवेश के सबसे निकट प्रदर्शन करने वाला है, जबकि इस अवधि में बांड पत्रों ने 10.4 प्रतिशत वा सोना ने 7.2 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जबकि मुद्रास्फीति की दर 6.8 प्रतिशत रही. तो यह मान लें कि भविष्य की जरूरतों के लिए परंपरागत निवेश माध्यम कारगर नहीं हाे सकते हैं. इसके लिए इक्विटी निवेश की ओर बढ़ना ही होगा.
निवेश में जोखिम उठाने की क्षमता अहम
इक्विटी या म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े खतरे भी होते हैं. आपके अंदर जोखिम उठाने की कितनी क्षमता है, यह बात आपकी उम्र, आपकी आय, आप पर आश्रितों की संख्या, आपकी भविष्य की जरूरतों पर निर्भर करता है. अगर आपके ऊपर आश्रितों की संख्या अधिक होगी, आपकी उम्र अधिक होगी और निकट भविष्य में आपको किसी बड़े खर्च के लिए पैसे की जरूरत होगी तो आपके जोखिम उठाने की क्षमता कम हो जायेगी. अगर आपकी उम्र कम है, आश्रितों की संख्या सीमित है, निकट भविष्य में कोई बड़ा खर्च नहीं है, तो आप अधिक जोखिम लेकर निवेश कर सकेंगे.
निवेश का सामान्य फार्मूला क्या है?
निवेश का सामान्य फार्मूला क्या है. आप अपनी उम्र के हिसाब से किस मद में कितना निवेश करें यह अहम बात है. इसका एक बेहद सामान्य सिद्धांत यह है कि आपकी जितनी उम्र है, उसे 100 में घटा दें अौर जो नंबर आता है, उतना प्रतिशत आप म्यूचुअल फंड व शेयर मार्केट में निवेश करें. मान लीजिए आपकी उम्र 30 साल है तो इसे 100 में घटना पर 70 बचेगा यानी आप हर महीने स्वयं द्वारा निवेशित की जाने वाली कुल राशि का 70 प्रतिशत म्यूचुअल फंड व इक्विटी में लगा सकते हैं और अन्य निवेश राशि डेट में यानी बांड, बैंक रेकरिंग आदि में लगायें. अगर उम्र 40 साल है, तो यह प्रतिशत 60 हो जायेगा और उम्र 25 साल है तो यह प्रतिशत 75 होगा.
सामान्यत: इक्विटी में 10 से 20 प्रतिशत राशि निवेश करने को कंटरवेटिव तरीका माना जाता है, 40 प्रतिशत इक्विटी में लगाने वाले को एग्रेसिव माना जाता है और अगर यह 80 प्रतिशत तक हो जाये निवेशक को वेरी एग्रेसिव माना जाता है, जिसके अपने फायदे व खतरे दोनों हैं.
बचत की बात की पहली कड़ी पढने के लिए नीचे के लिंक काे क्लिक करें :
पैसा बचाना एक आदत, वस्तुओं की जगह स्वयं में करें निवेश
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.