उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दुनिया को जोड़े रखने की जिम्मेवारी : रामनाथ कोविंद
अमरावती : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ देशों के संरक्षणवादी देशों में तब्दील होने के मद्देनजर बुधवार को भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं का आह्वान किया कि वे उचित तथा बढते व्यापार के साथ एक परस्पर संबद्ध विश्व के लिए आवाज उठाएं. उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न तबकों तथा क्षेत्रों में असमानता दूर करने के […]
अमरावती : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ देशों के संरक्षणवादी देशों में तब्दील होने के मद्देनजर बुधवार को भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं का आह्वान किया कि वे उचित तथा बढते व्यापार के साथ एक परस्पर संबद्ध विश्व के लिए आवाज उठाएं. उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न तबकों तथा क्षेत्रों में असमानता दूर करने के लिए नयी सोच पर आधारित नीति बनाने की आवश्यकता है.
राष्ट्रपति यहां आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय (एएनयू) में इंडियन इकनॉमिक एसोसिएशन के शताब्दी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, हम एक ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जहां ऐसे कई समाज, जो अब तक उदार व्यापार व्यवस्था की वकालत कर रहे थे, अब संरक्षणवादी (व्यवस्था) में तब्दील हो गये.
परस्पर संबद्ध विश्व के लिए आवाज उठाने की जिम्मेदारी भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर है जहां उचित और बढता व्यापार सार्वाधिक लोगों की मदद करे. कोविन्द ने कहा, मानव समाज एक निर्णायक मोड़ पर है. कई सचाइयां जो विश्व ने कई दशक तक देखी हैं, खासकर द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद से, अब बदल रही हैं….अर्थव्यवस्था संबंधी नियम भी इन बदलावों से अछूता नहीं रहा है.
राष्ट्रपति ने भारत के विकास अनुभव के बारे में कहा कि हालांकि वृद्धि आवश्यक है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा, हमारे समाज में असमानताओं से निपटना तथा विभिन्न तबकों और क्षेत्रों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए एक नयी सोच आधारित नीति बनाये जाने की आवश्यकता है.
काफी संख्या में लोगों के अब भी गरीबी में जीने या गरीबी रेखा के नजदीक होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कोविन्द ने कहा कि न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के क्रम में मुद्दे का समाधान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. राष्ट्रपति ने कहा, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, आवास एवं निकाय सुविधाओं तक उनकी (गरीबों की) पर्याप्त पहुंच नहीं है.
उन्होंने कहा कि खासकर यह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग के तबकों तथा महिलाओं जैसे परंपरागत कमजोर तबकों के मामले में सच है. कोविन्द ने कहा, 2022 तक न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के क्रम में इन मुद्दों का सामधान करना आवश्यक है जब हमारा देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मनायेगा.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं शिक्षा में निवेश को मानव पूंजी में निवेश माना जाना चाहिए जो अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण निर्माण खंड है. राष्ट्रपति ने कहा, बहुत से मुद्दे जिनका मैंने उल्लेख किया, भारतीय संविधान की राज्य सूची में हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के मुद्दों का स्थानीय तथा राज्य स्तर पर उचित नीति तंत्र के साथ समाधान भारत के विकास अनुभव को सहयोगात्मक संघवाद के युग में ले जायेगा, और खासकर 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के क्रियान्वयन के बाद जिसमें राज्यों को अधिक कोष स्थानांतरित किया गया है.
राष्ट्रपति ने कहा, बहुत सी जिम्मेदारी और उम्मीद हमारे विभिन्न राज्यों से जुड़ी है. इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन, नोबेल विजेता एवं बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस, इंडियन इकनॉमिक एसोसिएशन (आईईए) के अध्यक्ष सुखदेव थोरट, एएनयू के कुलपति ए राजेंद्र प्रसाद तथा अन्य लोग मौजूद थे.
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर इंडियन इकनॉमिक जर्नल के विशेष संस्करण का विमोचन किया. इसके पूर्व राष्ट्रपति हैदराबाद से यहां पहुंचे. राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा राज्य के मंत्रियों ने विजयवाड़ा हवाईअड्डे पर उनका भव्य स्वागत किया. बाद में राष्ट्रपति आईईए सम्मेलन में शामिल होने के लिए एक विशेष हेलीकॉप्टर से एएनयू रवाना हुए. इस बीच, राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविन्द ने विजयवाड़ा के स्वराज्य मैदान में आयोजित गुलाब प्रदर्शनी देखी. इसके बाद उन्होंने इंद्रकीलाद्री पर्वत पर स्थित कनक दुर्गा मंदिर में देवी के दर्शन किये. आंध्र प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री भूमा अखिल प्रिया उनके साथ थीं.
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