सर्वर हैक कर CBI का प्रोग्रामर बुक करता था तत्काल टिकट, बड़े टिकट का खुलासा
नयी दिल्ली : सीबीआई ने रेलवे के तत्काल आरक्षण तंत्र को ध्वस्त करते हुए एक ही बार में सैकड़ों टिकटों का आरक्षण करने वाले एक अवैध साफ्टवेयर का निर्माण करने के आरोप में अपने सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर को बुधवार को गिरफ्तार किया. सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि एजेंसी के सहायक प्रोग्रामर अजय गर्ग […]
नयी दिल्ली : सीबीआई ने रेलवे के तत्काल आरक्षण तंत्र को ध्वस्त करते हुए एक ही बार में सैकड़ों टिकटों का आरक्षण करने वाले एक अवैध साफ्टवेयर का निर्माण करने के आरोप में अपने सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर को बुधवार को गिरफ्तार किया. सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि एजेंसी के सहायक प्रोग्रामर अजय गर्ग और उसके मुख्य सहयोगी अनिल गुप्ता को सॉफ्टवेयर विकसित कर रुपये की एवज में साफ्टवेयर बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
गर्ग ने आईआरसीटीसी के साथ 2007 से 2011 के बीच चार वर्षों तक काम किया था और वहीं उसे रेलवे टिकटिंग सिस्टम के बारे में गहराई से पता चला. गर्ग और गुप्ता के अलावा सीबीआई ने 13 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें गर्ग के परिजन और ट्रैवल एजेंट भी शामिल हैं. दयाल ने कहा कि गर्ग की ओर से विकसित की गयी व्यवस्था का इस्तेमाल कर टिकट बुक कराने वाले ट्रैवल एजेंटों से पैसे बिटकॉइन और हवाला के जरिए लिए गये ताकि वे निगरानी के दायरे में न आएं.
इस सिलसिले में अब तक जौनपुर के सात और मुंबई के तीन एजेंटों की पहचान की गयी है. सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने बताया, यह मामला शुचिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता बरतने के लिए एक प्रभावी आंतरिक तंत्र बनाने की हमारी नीति के मुताबिक है. अगले दिन प्रस्थान करने वाली ट्रेनों में एसी डिब्बों के लिए तत्काल कोटा में बुकिंग सुबह 10 बजे से जबकि गैर-एसी डिब्बों के लिए 11 बजे से शुरू होती है.
इस कोटा के तहत हर डिब्बे में सीमित सीटें आरक्षित हो सकती हैं. आम तौर पर यात्रियों की शिकायत रहती है कि जब तक वे आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर अपना ब्यौरा डालते हैं तब तक तत्काल कोटे वाली सीटें बुक हो जाती हैं. ऐसे में उनकी बुकिंग या तो खारिज हो जाती है या उन्हें वेटिंग टिकट थमा दिया जाता है, वो भी काफी ज्यादा कीमतों पर.
इससे पहले, सीबीआई सूत्रों ने बताया कि गर्ग ने एक अवैध सॉफ्टवेयर बनाया जिसके जरिए एजेंट एक बार में सैकड़ों टिकट बुक कर सकते थे. वहीं जरुरत मंद यात्री टिकट से वंचित रह जाते. 35 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर गर्ग ने 2012 में सीबीआई में सहायक प्रोग्रामर के तौर पर अपनी सेवाएं शुरू की थी. उसका चयन एक प्रक्रिया के तहत किया गया था.
इससे पहले वह 2007 से 2011 के बीच आईआरसीटीसी के लिए काम करता था. आईआरसीटीसी में काम करने के दौरान ही उसे टिकट वाले सॉफ्टवेयर की बारीकियों का पता चला. इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड माने जा रहे गर्ग का सहयोगी गुप्ता ट्रैवल एजेंटों को सॉफ्टवेयर बांटने और उनसे पैसे इकट्ठा करने का काम करता था.
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