गुुरुवार को सेबी ने अपनी बैठक में कई बड़े फैसले लिये और सुधारवादी कदम उठाये, आम निवेशकों की हितों की रक्षा के लिए यह जरूरी था.
मुंबई: बाजार नियामक सेबी नेगुरुवारको पूंजी बाजार में कारोबार और उससेजुड़े कारोबारियों के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधारों को आगे बढ़ाने का निर्णय किया. इसमें जहां एक तरफ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए भारतीय पूंजी बाजार में पहुंच को आसान बनाया गया है वहीं एक ही एक्सचेंज में शेयर और जिंस दोनों का कारोबार करने केलिए मार्ग प्रशस्त कर दिया गया है. सेबी ने रेटिंग एजेंसियों के साथ-साथ म्यूचुअल फंड में हितों के टकराव को दूर करने के मकसद से एक दूसरे में 10 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग की सीमा तय कर दी. सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों सेजुड़ी उनके शेयर मूल्य के प्रति संवेदनशील जानकारी कुछ गिने चुने लोगों तक पहुंचाने जैसे भेदिया कारोबारियों को भीकड़ी चेतावनी दी है. नियामक ने कहा कि वह कई कंपनियों तथा अन्य इकाइयों की जांच कर रहा है. ऐसे मामले में कंपनी के लेखापरीक्षक सहित किसी को भी गलत काम करने परछोड़ा नहीं जाएगा और जरूरत पड़ने पर कारोबारी नियमों को मजबूत किया जाएगा.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) द्वारा जारी प्रतिभूति रसीद को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने और उसमें फरीद-फरोख्त को भी मंजूरी दी है. इससे प्रतिभूतिकरण उद्योग में पूंजी प्रवाह बढ़ेगा और विशेषरूप से बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. हालांकि, सूचीबद्ध कंपनियों केलिए कर्ज में किसी भी प्रकार की चूक के बारे में निवेशकों को तत्काल सूचना देने की व्यवस्था को अनिवार्य बनाये जाने के मामले में निर्णय टाल दिया गया.
रीयल एस्टेट और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट के लिए नियमन में ढील
सेबी ने रीयल एस्टेट तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट के लिए अपने नियमन में ढील दी है. इसके अलावा सूचीबद्ध कंपनियों के लिए न्यूनतम 25 प्रतिशत शेयरधारिता की शर्त को पूरा करने केलिए और उपाय भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं. नियामक ने यह भी कहा कि वह निवेश सलाहकारों के लिये नियमों में बदलाव करेगा. कोई भी इकाई निवेश सलाह का काम करने के साथ उत्पादों का वितरण जैसी दूसरी गतिविधि नहीं कर सकती है. कार्य के स्पष्टरूप से विभाजन को लेकर नया परामर्श पत्र जारी करेगा. सेबी निदेशक मंडल की आज यहां बैठक में ये निर्णय लिए गये. सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने इनकी जानकारी देतेहुए कहा कि कंपनियों के कर्ज चुकाने में असफल रहने संबंधी खुलासा नियमों पर अभी और चर्चा की जरूरत है. इसे अक्तूबर से लागू किया जाना था लेकिन कुछ उपबंधों को लेकर बैंकों तथा अन्य तबकों की आपत्ति को देखते हुए इसे टाल दिया गया.
कारपोरेट गवर्नेंस पर अगली बैठक में विचार
कंपनी के कामकाज (कारपोरेट गवर्नेंस) में सुधार से संबद्ध बहुप्रतीक्षित फैसले के बारे में त्यागी ने कहा कि इस पर बोर्ड की अगली बैठक में विचार किया जाएगा क्योंकि नियामक जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करना चाहता.
एक अक्तूबर से सभी एक्सचेंज पर हो सकेगा हर तरह का कारोबार
एक ही एक्सचेंज में शेयरों और जिंस कारोबार की अनुमति के बारे में त्यागी ने कहा कि एकीकरण प्रक्रिया के तहत सभी एक्सचेंज एक अक्तूबर, 2018 से दोनों तरह के कारोबार कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि संबंधित प्रतिभूति बाजार नियमनों को संशोधित कर कुछ मौजूदा अंकुशों को समाप्त किया जाएगा. इससे सभी एक्सचेंज अपने प्लेटफार्म पर शेयर और जिंस दोनों के कारोबार की सुविधा उपलब्ध करा पाएंगे. उल्लेखनीय है कि इससे पहले जिंस बाजारों का नियमन वायदा बाजार आयोग :एफएमसी: करता रहा है. वर्ष 2015 में एफएमसी का सेबी में विलय कर लिया गया था. तब से सेबी उपभोक्ता जिंस वायदा बाजारों का भी नियमन एवं निगरानी कर रहा है. बाजार प्रतिभागियों ने सभी शेयर बाजारों को शेयरों के साथ-साथ जिंस वायदा कारोबार की अनुमति देने के फैसले का स्वागत किया है. वहीं बैंक उद्योग के साथ ही वित्तीय दबाव से जूझ रही कंपनियों ने कर्ज भुगतान में असफल रहने का तत्काल खुलासा करने संबंधी फैसले के टलने से राहत महसूस की है. सेबी के इस निर्णय का स्वागत करते हुए बंबई शेयर बाजार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीष कुमार चौहान ने कहा कि इससे विभिन्न बाजारों के प्रतिभागियों को अधिक नियमित, सुरक्षित और अधिक पारदर्शी कारोबार करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, बीएसई 3.71 करोड़ से अधिक पंजीकृत निवेशकों को यह सुविधा देने के लिए लंबे समय से खुद को तैयार कर रखा है.
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