नयी दिल्ली : देश के मोबाइल ग्राहकों के लिए यह साल अनेक सुखद व चौंकाने वाले बदलावों से भरा रहा. कॉल दरें जहां मुफ्त होने तक के स्तर तक नीचे आ गयी वहीं ग्राहकों के एक बड़े वर्ग ने पहली बार सस्ती दरों पर 4जी डेटा, सस्ते 4जी मोबाइल हैंडसेट जैसे अनदेखे सपनों को पूरा होते देखा. मोबाइल डेटा नये कच्चे तेल के रूप में उभरा और नयी कंपनी रिलायंस जियो की हुंकार के साथ आये बदलावों ने ग्राहकों की मानों बल्ले-बल्ले कर दी.
विश्लेषकों का कहना है कि यह साल भारतीय दूरसंचार क्षेत्र व ग्राहकों के बारे में कई मिथकों को तोड़ने वाला रहा. एक बड़ा मिथक तो यह टूटा कि फीचर फोन बहुल भारतीय बाजार नयी प्रौद्योगिकी को नहीं अपनायेगा. इंटेक्स टेक्नोलॉजीज की निदेशक निधि मार्कंडेय के अनुसार जियो के कदमों से भारत में 4जी वोल्टी क्रांति को बल मिला.
उन्होंने कहा, इस (जियो) के आने से भारतीय मोबाइल उद्योग का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया और वह कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ उड़ान भरने को तैयार हुआ. बीते साल विशेषकर 4जी प्रौद्योगिकी वाले स्मार्टफोन की बिक्री तेजी से बढ़ी. हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों को भी इसकी उम्मीद नहीं थी और उन्हें 4जी सक्षम हैंडसेट के लिए अपनी विनिर्माण नीति में पूरी तरह बदलाव करना पड़ा.
पैनासोनिक जैसी प्रमुख कंपनी ने केवल 4जी हैंडसेट बनाने का फैसला किया. टैबलेट, स्मार्टफोन बनाने वाली डेटाविंड के सीईओ सुनीत सिंह तुली ने जियो का नाम लिए बिना कहा कि एक प्रमुख कंपनी द्वारा 4जी फीचर फोन की पेशकश से देश में 4जी एलटीई प्रौद्योगिकी को अपनाने को बल मिला. इससे हुआ यह कि 2जी-3जी फोन चला रहे ग्राहक तेजी से 4जी वाले स्मार्टफोन की ओर बढ़ गये. जियो ने अपनी तरह का पहला 4जी फीचर फोन जियोफोन पेश किया. शून्य प्रभावी लागत वाले इस फोन के बाद बाकी कंपनियां भी ऐसे सस्ते स्मार्टफोन लेकर आईं.
रिलायंस जियो के प्रमुख मुकेश अंबानी ने खुद एक कार्यक्रम में कहा था कि जियो ने भारतीय दूरसंचार क्षेत्र व ग्राहकों को लेकर अनेक पूर्वाग्रहों को तोड़ने में मदद की. उन्होंने कहा- कंपनी ने केवल 170 दिन में ही 10 करोड़ ग्राहक जुटाकर इस धारणा को ध्वस्त कर दिया कि भारतीय नयी यानी 4जी प्रौद्योगिकी को नहीं अपनायेंगे.
शोध संस्थान स्टेटकाउंटर रिसर्च की रपट के अनुसार इस समय 80 प्रतिशत भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल स्मार्टफोन के जरिये कर रहे हैं. अमेरिकी वेंचर कैपिटल फर्म केपीसीबी की पार्टनर मैरी मीकर ने अपनी ताजा रपट में भारतीय दूरसंचार उद्योग में ताजा बदलावों को रेखांकित किया है. इसके अनुसार एंड्रायड फोन पर बिताये जाने वाले समय के लिहाज से चीन को छोड़ दें तो भारत दुनिया में पहले स्थान पर है.
देश में एक जीबी इंटरनेट डेटा की सालाना लागत 2014 की तुलना में घटकर लगभग आधी रह गयी. किसी समय कहा जाता था कि वायस यानी फोन काल से होने वाली कमाई से ही चलता है लेकिन अब इसकी जगह डेटा ने ले ली है. जियो की अगुवाई में भारत 150 जीबी प्रति माह खपत के साथ मोबाइल डेटा उपभोग के लिहाज से पहले नंबर पर आ गया.
शोध फर्म आईडीसी इंडिया में मुख्य विश्लेषक जयपाल सिंह की राय में स्मार्टफोन की कीमत हो या इंटरनेट डेटा के दाम दूरसंचार क्षेत्र में जियो की पहलें एक तरह से विध्वंसकारी रही हैं, जिन्होंने बनी बनायी धारणाओं को ध्वस्त किया। और इसका फायदा अंतत: ग्राहकों को ही हुआ.
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