नयी दिल्ली : विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री पॉल रोमर की ओर से कुछ देशों की कारोबार सुगमता रैंकिंग की विश्वसनीयता पर संदेह जाहिर करने के बाद अब विश्व बैंक ने सफाई दिया है कि रैंकिंग के संकेतक और तरीका किसी एक देश को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किये गये हैं. ये रैंकिंग पूरी तरह ‘ठोस आंकड़ों’ पर आधारित है.
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रोमर ने शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट जर्नल से साक्षात्कार में कहा है कि संगठन ने कारोबार सुगमता रैंकिंग की पद्धति में इस तरीके से बदलाव किया है कि वह अनुचित तथा गुमराह करने वाला लगता है. इसलिए संगठन कम से कम पिछले चार साल के लिए रैंकिंग की नये सिरे से गणना करेगा.
विश्व बैंक ने इसके बाद जारी बयान में कहा है कि हम अपने शोध में सभी देशों को समान रूप से देखते हैं. कारोबार सुगमता संकेतक और कार्य-पद्धति किसी एक देश को ध्यान में रखकर नहीं बनाये गये हैं. इसे ऐसे बनाया गया है कि समग्र कारोबारी माहौल में सुधार लाया जा सके.
रोमर ने चिली की रैंकिंग को लेकर संदेह जताया था. हालांकि, उन्होंने भारत के बारे में कुछ नहीं कहा. विश्व बैंक की कारोबार सुगमता की ताजा रैंकिंग में भारत का स्थान 40 स्थान बढ़कर 100वें स्थान पर पहुंच गया. भारत में ज्यादातर संकेतकों में सुधारों का क्रियान्वयन किया गया. इसमें नया व्यावसाय शुरू करने, कर्ज लेने, कर का भुगतान करने और दिवाला मामलों के समाधान जैसे क्षेत्रों में सुधारों की पहल सामने आयी है.
विश्व बैंक ने कहा है कि पिछले 15 सालों से उसका कारोबार सुगमता सूचकांक देशों के लिए एक मूल्यवान साधन साबित हुआ है. जो देश अपने कारोबारी माहौल में सुधार लाना चाहते हैं, वह इसमें शामिल सुधार मानकों पर गौर करते हैं.
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