इस साल बजट में मोदी सरकार दे सकती है सबको हेल्थ इंश्योरेंस का तोहफा
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार का आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जायेगा. इस बजट में सरकार सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दे सकती है. देश में करीब 70 फीसदी लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है. कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत नहीं है. कई कंपनियों […]
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार का आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जायेगा. इस बजट में सरकार सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दे सकती है. देश में करीब 70 फीसदी लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है. कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत नहीं है. कई कंपनियों के कर्मचारियों के पास कोई भी स्वास्थ्य बीमा नहीं है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार इस बजट में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने वाली है. देश भर के सभी लोगों को सरकार स्वास्थ्य बीमा का लाभ देगी. यह बीमा 2 से 4 लाख कवर देगी. इससे किसी तरह की बीमारी होने पर उसको इलाज मिलने में परेशानी नहीं होगी.
सूत्रों के अनुसार, सबको हेल्थ इंश्योरेंस देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का बजट तय किया जा सकता है. सरकार की इस योजना के तहत निजी बीमा कंपनियों के जरिये सभी को हेल्थ इंश्यारेंस का फायदा मिलेगा. सरकार ट्रस्ट बनाकर स्वास्थ्य बीमा देने पर भी विचार कर रही है. यह हेल्थ इंश्योरेंस सभी को सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम के तहत दिया जायेगा. इसमें कुल खर्च का 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार वहन करेगी.
नयी पॉलिसी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम तीन प्रकार की होगी. पहली स्कीम में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को इंश्योरेंस कवर दिया जायेगा, जिसे कल्याण स्कीम का नाम दिया जायेगा. दूसरी स्कीम 2 लाख रुपये तक के आय वालों के लिए होगी, जिसका नाम सौभाग्य स्कीम होगा. इसके साथ ही 2 लाख से ज्यादा आमदनी वाले सभी वर्गों के लिए सर्वोदय स्कीम लायी जा सकती है.
गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले और 2 लाख से कम आमदनी वालों का प्रीमियम सरकार भरेगी. 2 लाख तक और उससे ज्यादा आमदनी वाले लोगों से बीमा का प्रीमियम लिया जायेगा. लेकिन यह रकम मामूली होगा. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इंटरनल सर्वे में पाया गया है कि देश में करीब 70 फीसदी लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं है.
ऐसे में बीमार होने के बाद लोगों के पास इलाज के लिए पैसे नहीं होने के कारण वे इलाज से वंचित रह जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार सभी को स्वास्थ्य बीमा देना चाहती है. इंडस्ट्री चैंबर ऐसोचैम की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करनेवाले आधे से ज्यादा कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कंपनियां कर्मचारियों को हेल्दी और फिट रखने के लिए किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं चलाती हैं.
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