Study Report : मार्च के अंत तक 1.5 लाख करोड़ रुपये बढ़ जायेगा बैंकों का NPA
नयी दिल्ली : भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए पिछला कुछ वक्त बहुत बुरा रहा है. इसमें भी सरकारी बैंकों के हालत ज्यादा खराब चल रहे हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) इस साल के मार्च अंत तक 9.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की आशंका है, जो पिछले साल […]
नयी दिल्ली : भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए पिछला कुछ वक्त बहुत बुरा रहा है. इसमें भी सरकारी बैंकों के हालत ज्यादा खराब चल रहे हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) इस साल के मार्च अंत तक 9.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की आशंका है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 8 लाख करोड़ रुपये थी.
एसोचैम-क्रिसिल के अध्ययन के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र में बड़ी मात्रा में दबाव वाली परिसंपत्तियां परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है. एनपीए की समस्या के समाधान में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. हालांकि, रिपोर्ट में परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों की वृद्धि भी घटने की आशंका जतायी गयी है. इसकी प्रमुख वजह उनका पूंजी आधार घटना है.
इसे भी पढ़ें : मर्चेंट बैंकरों के बीच हितों का टकराव एनपीए की बड़ी वजह : रिजर्व बैंक
रिपोर्ट के अनुसार, जून, 2019 तक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों की वृद्धि घटकर 12 फीसदी आने की उम्मीद है. वहीं, प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों के बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सकल एनपीए मार्च, 2018 के अंत तक बढ़कर 9.5 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है यह कुल ऋण का करीब 10.5 फीसदी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दबाव वाली परिसंपत्तियों के 11.5 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छूने की उम्मीद है. वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने संसद में कहा था कि सितंबर, 2017 तक बैंकों का कुल एनपीए 8.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.