नयी दिल्ली : सरकार के स्वच्छता कार्यक्रम से नागरिकों के स्वास्थ्य पर सकरात्मक असर पड़ा है और खुले में शौच से मुक्त गांव में प्रति परिवार सालाना 50,000 रुपये की बचत का अनुमान है. आर्थिक समीक्षा के अनुसार अब तक पूरे देश में 296 जिलों तथा 3,0,349 गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है. वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में आज पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार दो अक्टूबर 2014 को शुरू किये गये स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कार्यक्रम की शुरूआत के बाद ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता का दायरा 2014 के 39 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी, 2018 में 76 प्रतिशत हो गया है.
समीक्षा में कहा गया है कि 2014 में खुले में शौच जाने वाले व्यक्तियों की आबादी 55 करोड़ थी, जो जनवरी, 2018 में घटकर 25 करोड़ हो गई है. अब तक पूरे देश में 296 जिलों तथा 3,07,349 गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किये गये हैं. इसमें कहा गया है, ‘‘आठ राज्यों और दो केन्द्रशासित प्रदेशों – सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, दमन और दीव तथा चंडीगढ़ – को खुले में शौच से पूर्ण रूप से मुक्त घोषित किया गया है.’
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएस) तथा भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) की रिपोर्टों के आधार पर शौचालय तक पहुंच वाले लोगों की संख्या में 2016 के मुकाबले 2017 में 90 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है. समीक्षा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच जाने वाले व्यक्तियों की संख्या में तेजी से कमी आई है. इससे खुले में शौच से मुक्त क्षेत्रों में सकारात्मक स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव दिखाई पड़ता है. यूनिसेफ की ‘भारत में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) का वित्तीय और आर्थिक प्रभाव’ रिर्पोट में आकलन किया गया है कि ओडीएफ गांव में एक परिवार प्रतिवर्ष 50,000 रुपये की बचत करता है
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