रिसर्च एंड डेवलेपमेंट में दूसरे देशों के मुकाबले बेहद कम खर्च करता है भारत

नयी दिल्ली :पिछले दो दशकों में रिसर्च एंड डेवलेपमेंट (आरएंडडी) पर भारत का खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.6 से 0.7 प्रतिशत पर स्थिर है. यह अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और इस्राइल की तुलना में काफी कम है. इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 में यह बात कही गयी. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2018 8:45 PM

नयी दिल्ली :पिछले दो दशकों में रिसर्च एंड डेवलेपमेंट (आरएंडडी) पर भारत का खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.6 से 0.7 प्रतिशत पर स्थिर है. यह अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और इस्राइल की तुलना में काफी कम है. इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 में यह बात कही गयी. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि देश को विज्ञान और शोध एवं विकास में सुधार के अपने प्रयासों को दोगुना करने की जरूरत है.

इसमें शोध एवं विकास पर राष्ट्रीय खर्च को दोगुना करने के लिए कहा गया है. भारत का विज्ञान में निवेश, जो कि आरएंडडी पर सकल व्यय (जीआरईडी) के आधार पर मापा जाता है, पिछले एक दशक में तीन गुना बढ़ा है. यह अनुपात जीडीपी के 0.6 से 0.7 प्रतिशत पर स्थिर है. समीक्षा में कहा गया है, "शोध एवं विकास पर भारत जीडीपी का करीब 0.6 प्रतिशत खर्च करता है, जो कि अमेरिका (2.8), चीन (2.1), इस्राइल (4.3) और कोरिया (4.2) जैसे प्रमुख देशों से कम है."
पिछले एक दशक में भारत का जीआरईडी तीन गुना होकर 2004-05 में 24,117 करोड़ रुपये से 2014-15 में 85,326 करोड़ रुपया हो गया था. 2016-17 में इसके 1,04,864 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. समीक्षा के मुताबिक, पूर्वी एशियाई देशों जैसे चीन, जापान और कोरिया के आरएंडडी में जीडीपी के लिहाज से नाटकीय वृद्धि देखी गई, क्योंकि वे अमीर हो गए हैं. वहीं, दूसरी ओर भारत इस क्षेत्र में मामूली वृद्धि देखी गई है. वास्तव में 2015 में आरएंडडी में गिरावट आई है.

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