!!जेडी अग्रवाल, अर्थशास्त्री !!
सरकार द्वारा एक बहुत ही अच्छा और उत्कृष्ट बजट पेश किया गया है. भारत के वे लोग जिन पर 70 वर्षों से ध्यान नहीं दिया गया था, वित्त मंत्री ने इस बार उन पर ध्यान दिया है. सात लाख करोड़ रुपये से ऊपर का जो प्रावधान किया गया है, इसमें यह कोशिश की गयी है कि कृषि का उत्थान किया जा सके, गरीबी का उन्मूलन किया जा सके, शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके और निवेश को भी बढ़ावा दिया जा सके. गरीब-से-गरीब व्यक्ति की सहायता करने पर ध्यान दिया गया है.
बजट में 11 लाख करोड़ रुपये का एग्रीकल्चर क्रेडिट दिया जा रहा है, उससे किसानों का उत्थान होगा. सभी कम्युनिटीज के ऊपर एमएसपी जिसे डेढ़ गुना कर दिया गया है, उससे किसानों की कमाई में इजाफा होगा. इसके साथ-साथ एग्रीकल्चर प्रोड्यूस को जो 100 मिलियन डॉलर्स का एक्सपोर्ट करने की बात कही जा रही है, उससे भी किसानों को फायदा होगा. जो कॉरपोरेट फार्म एग्रीकल्चर में लगी हुई हैं, उनको 100 प्रतिशत का रिबेट दिया जा रहा है, जिससे वे इस दिशा में अधिक-से-अधिक निवेश करें. बजट में एंप्लॉयमेंट जेनरेट करने की बात है.
आठ करोड़ गरीबों को फ्री में गैस दिये जाने की बात है. चार करोड़ घरों में मुफ्त बिजली दी जायेगी. छह करोड़ टॉयलेट बनाये जायेंगे. गरीब लोगों के लिए 51 लाख घर बनाये जायेंगे. 70 लाख नौकरियां क्रिएट की जायेंगी. अरुण जेटली ने जो वादा किया था कि मैं एमएफएमई यानी मीडियम स्मॉल स्किल डेवलपमेंट इंटरप्राइजेस के टैक्स रेट को 30 से 25 प्रतिशत पर ले आऊंगा, उन्होंने अपना वादा पूरा किया है. एमएफएमई को 250 रुपये का टर्नओवर है. 99 प्रतिशत कंपनियां एमएफएमई के अंतर्गत आती हैं, ऐसे में यदि 1 प्रतिशत कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत टैक्स है, तो यह एक उपलब्धि की बात है. इसी प्रकार से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए भी 70,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें 19 करोड़ अनुसूचित जाति के लिए है और 39,135 करोड़ रुपये अनुसूचित जनजाति के लिए हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर में जो 2 लाख करोड़ रुपये का जो निवेश किया जायेगा उससे भी रोजगार को बढ़ाया दिया जायेगा. जो सुविधाएं देश में लोगों को मिलनी चाहिए वो मिलेंगी. शिक्षा और स्वास्थ्य में भी 1 लाख करोड़ रुपये के करीब निवेश किया जायेगा. 24 मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कही गयी है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रखनेवाले लोगों को आसानी से इलाज कराने की सुविधा मिल सकती है.
देखा जाये तो सरकार का यही काम है कि देश के गरीब लोग, जो अपना ध्यान रखने में सक्षम नहीं है, उनको कैसे सुविधाएं दी जायें इस दिशा में काम करने का है. सरकार ने किसी तरह के टैक्स रेट को बढ़ावा न देते हुए लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश की है. 83 के अंतर्गत उन्होंने देश के वरिष्ट नागरिकों को स्वास्थ्य के लिए और 194ए के अंदर इन्ट्रा स्टेट इनकम के ऊपर 50,000 रुपये तक की छूट देने की बात कही है. आम जनता यानी जो वेतनभोगी वर्ग है उन्हें 40,000 रुपये तक की छूट दी गयी है.
कारोबारी बाजार की बात करें तो यदि भारत के 70-80 प्रतिशत लोगों की आय का स्तर बढ़ता है, गरीबी कम होती है, किसानों की कमाई बढ़ती है, तो इन लोगों में खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, जिसका कारोबारियों को ही फायदा होगा. बजट में 50 लाख युवाओं को छात्रवृत्ति दी जाने की बात भी कही है. इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाने का नारा दिया था, लेकिन इस दिशा में कुछ खास प्रयास नहीं दिखाई मिले. मोदी ने गरीबों की स्थिति में सुधार की पहल की है.
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