नयी दिल्ली : सरकार की आेर से गुरुवार को पेश किये गये बजट में कर में दी गयी स्टैंडर्ड डिडक्शन में वेतनभोगी करदाताओं तथा पेंशनभागियों को 40,000 रुपये का किसी तरह का बिल या दस्तावेज जमा कराने की जरूरत नहीं होगी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि इस बार बजट में वेतनभोगी करदाताओं तथा पेंशनभोगियों को 40,000 रुपये की मानक कटौती के जरिये बड़ा लाभ दिया गया है.
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चंद्रा ने कहा कि पहले बिल देने पर कुछ लोगों को परिवहन भत्ता या चिकित्सा भत्ता मिल रहा था. अब हमने सभी व्यक्तिगत भत्तों को बिल जमा कराने पर समाप्त कर दिया है. प्रत्येक वेतनभोगी के लिए यह अब सीधे-सीधे 40,000 रुपये होगा. चंद्रा ने कहा कि इस नये उपाय से सभी वेतनभोगी कर्मचारियों को फायदा होगा और उन्हें दस्तावेज या बिल देने की जरूरत नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि मानक कटौती का मतलब है कि यह बिना दस्तावेजीकरण के होगा. हम वेतन पर सीधे 40,000 रुपये की कटौती देंगे. अभी तक इस श्रेणी के करदाताओं को 19,200 रुपये का परिवहन भत्ता और 15,000 रुपये का चिकित्सा भत्ता लेने के लिए बिल देने पड़ते थे.
सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि यह देश में कर सुधारों को बेहतर करने का एक और कदम है. चंद्रा ने कहा कि सरकार ने अपने वादे को पूरा करते हुए 250 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 फीसदी कर दिया है.
उन्होंने कहा कि इस घोषणा से 99 फीसदी कॉरपोरेट क्षेत्र को फायदा होगा. सिर्फ एक प्रतिशत यानी करीब 7,000 कंपनियां ऐसी हैं, जो 30 फीसदी के कर दायरे में आती हैं. करदाताओं के लिए कर स्लैब में बदलाव नहीं किये जाने पर चंद्रा ने कहा कि जहां तक व्यक्तिगत कराधान की बात है, तो भारत या कुछ देशों के समान है या फिर कुछ देशों से कम कर लगता है.
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