दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) के साथ-साथ लाभांश वितरण पर कर लगाये जाने से म्यूचुअल फंड में निवेश थोड़ा प्रभावित होगा. म्यूचुअल फंड उद्योग के विशेषज्ञों ने आम बजट 2018-19 में इस मद में कर लगाने के प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही है.
उल्लेखनीय है कि नये बजट के मुताबिक, शेयर बाजार उन्मुख म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को वितरित आय पर 10% कर देना होगा. इसके अलावा, शेयर बाजारों से दीर्घावधि में पूंजीगत लाभ (एक लाख रुपये से अधिक) पर भी 10% कर लगाये जाने का प्रस्ताव किया गया है.
महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक आशुतोष बिश्नोई कहतेहैं कि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर 10% कर से और कुछ नहीं तो म्यूचुअल फंड इक्विटी योजना में निवेश बढ़ाने में थोड़ी समस्या आयेगी. बिश्नोई ने कहा कि इस कर से बचने के लिए निवेशकों के बीमा कंपनियों के यूलिप प्लानों की ओर रुख करने की संभावना है.
मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट इंडियाज के कौस्तुभ बेलापुरकर कामानना है कि लाभांश वितरण से होने वाली आय पर 10% कर का प्रस्ताव निवेशकों के फंड में निवेश के रुख को प्रभावित कर सकता है, जहां लोग आम तौर पर नियमित लाभांश के लिए ही निवेश करना शुरू करते हैं.
वहीं, बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर लगनेवाले टैक्स के नये प्रावधान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य कार्यकारी आशीष सोमैया कहते हैं कि वह इस सूक्ष्म दृष्टि से परखे गये क्रियान्वयन से सकारात्मक तौर पर अचंभित हैं.
बहरहाल नये प्रावधान के तहत आप किस तरह प्रभावित होंगे, इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है. मान लीजिए कि आपने शेयर बाजार में 100 रुपये के भाव से किसी कंपनी का शेयर खरीदा और आप उसे एक साल के अंदर ही 150 रुपये पर बेचदिया, तो उस पर 7.5 रुपये का टैक्स देना होगा, यानी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी की दर से मान्य होगा.
वहीं, उस शेयर को एक साल के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी लगेगा. इसका मतलब साफ है कि आप एक साल बाद भी उस शेयर को 150 रुपये के भाव बेचते हैं तो उस पर 5 रुपये का टैक्स देना होगा. इसका मतलब यह हुआ कि अब आपको एक साल बाद शेयर बेचने पर अपने लाभ पर 10 फीसदी का नुकसान उठाना होगा.
अगर बात करें दुनिया के अन्य देशों की, तो चीन, थाईलैंड, सिंगापुर में कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है. जबकि जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका में लोगों को यह टैक्स देना होता है.
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