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Bitcoin में पैसा लगानेवालों पर लगेगा Tax, आयकर विभाग ने भेजे नोटिस

नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने बिटक्वाइन में अपना पैसा लगानेवाले ‘कुछ लाख’ लोगों को नोटिस भेजे हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि अब विभाग इस तरह के निवेश पर कर वसूली का प्रयास कर रहा है. चंद्रा ने कहा, ‘कर अधिकारियों के संज्ञान में आया है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2018 5:13 PM

नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने बिटक्वाइन में अपना पैसा लगानेवाले ‘कुछ लाख’ लोगों को नोटिस भेजे हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि अब विभाग इस तरह के निवेश पर कर वसूली का प्रयास कर रहा है. चंद्रा ने कहा, ‘कर अधिकारियों के संज्ञान में आया है कि इस तरह के कई निवेशकों ने उन्हें हुए लाभ पर अग्रिम कर नहीं दिया है. वहीं, कुछ दूसरों ने पिछले कर रिटर्न में इसके बारे में स्पष्ट नहीं किया है.’

विभाग ने पिछले साल दिसंबर में इन एक्सचेंजों में अखिल भारतीय स्तर पर सर्वे किया था. उन्होंने कहा, ‘हमने ऐसे कई निवेशकों को नोटिस भेजे हैं. इनमें से कई ने कर अदा करने की सहमति दी है. जहां तक बिटक्वाइन में किये गये निवेश का सवाल है, हम निश्चित रूप से उनसे कर वसूलेंगे.’ सीबीडीटी प्रमुख ने नोटिसों की संख्या के बारे में पूछा गया, तो यह ‘कुछ लाख’ हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवारको अपने बजट भाषण में कहा था कि बिटक्वाइन सहित सभी क्रिप्टो मुद्राएं गैरकानूनी हैं और सरकार उन्हें समाप्त करने के लिए पूरा प्रयास करेगी. एक अन्य सवाल के जवाब में चंद्रा ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि विभाग चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रहण के लक्ष्य को न केवल हासिल करेगा, बल्कि इसे पार भी करेगा.

उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था काफी बेहतर स्थिति में है. अग्रिम कर भुगतान की आखिरी तिमाही तीसरी तिमाही से कहीं बेहतर रहेगी. जिस तरह से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, आखिरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर है, कोई नकारात्मक पहलू नहीं हैं, निश्चित रूप से हमें अधिक अग्रिम कर हासिल होगा.’ आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष में 9.8 लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर संग्रहण का लक्ष्य रखा है.

सूत्रों ने कहा कि कर अधिकारियों ने आयकर कानून की धारा 133 ए के तहत बिटक्वाइन एक्सचेंजों का सर्वे किया है. इसके पीछे मकसद निवेशकों और कारोबारियों की पहचान के बारे में पता करना, उनके द्वारा किये गये लेनदेन, संबंधित बैंक खातों तथा अन्य जानकारियों का पता लगाना है. पिछले साल जेटली ने संसद को सूचित किया था कि भारत में आभासी मुद्राओं की निगरानी के लिए कोई नियमन नहीं हैं. साथ ही रिजर्व बैंक ने इस तरह की मुद्राओं के परिचालन के लिए किसी इकाई या कंपनी को कोई लाइसेंस नहीं दिया है.

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